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Category: INDIA

BIHARINDIA

रामनवमी पर बिहार में हुई हिंसा पर डीजीपी बोले- कोई नहीं बख़्शा जाएगा

नालंदा ज़िले के बिहार शरीफ़ में धारा 144 लगा दी गई है.

बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ़ में रामनवमी के जुलूस के बाद हुई हिंसा को लेकर बिहार के पुलिस प्रमुख आरएस भट्टी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कहा है कि इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई है और हालात नियंत्रण में है.

उन्होंने कहा कि हिंसा के आरोप में कुल 109 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उपद्रवियों की लगातार पहचान की जा रही है और किसी भी असामाजिक तत्व को बख़्शा नहीं जाएगा, क़ानून की पूरी ताक़त के साथ उनसे निपटा जाएगा.

डीजीपी ने कहा कि राज्य की अमन शांति को भंग करने का यह निश्चित तौर पर एक प्रयास था जिसको पुलिस और ज़िला प्रशासन ने विफल किया है और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है.

बीबीसी संवाददाता चंदन जजवाड़े ने बताया कि बिहार शरीफ़ में हिंसा रोकने के लिए इलाक़े में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई है और लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है

वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंसा के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक की है. उन्होंने उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अफ़वाह फैलाने वालों पर नज़र रखी जाए.

  • शोभायात्रा पर कथित पथराव के बाद भड़की हिंसा
  • पश्चिम बंगाल में हिंसा

रामनवमी के मौक़े पर बिहार में दो जगहों पर हुई हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.

नालंदा में हिंसा फैलाने के आरोप में शनिवार रात तक़रीबन 80 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है. पुलिस का कहना है कि हालात तनवापूर्ण लेकिन नियंत्रण में हैं.

सासाराम में भी पुलिस ने 25 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया है और सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया है.

पटना में बीबीसी संवाददाता चंदन कुमार जजवाड़े के मुताबिक, शनिवार की रात नालंदा ज़िले के बिहार शरीफ़ में कई जगहों पर गोलीबारी और हिंसा हुई है.

बीबीसी संवाददाता के मुताबिक, नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने कहा है कि अभी हालात नियंत्रण में हैं, रात में कई जगहों पर हिंसा की घटना हुई है. पुलिस ने उन जगहों पर पहुंचकर हालात को काब़ू किया है.

नालंदा

अशोक मिश्रा के मुताबिक़ अभी फिलहाल बिहार शरीफ़ में बीएसएफ़ की चार कंपनियां तैनात की गई हैं, जबकि पैरामिलिट्री की दो कंपनियां भी तैनात की गई हैं.

नालंदा के ज़िलाधिकारी शशांक शुभंकर के मुताबिक़ इस हिंसा में घायल एक व्यक्ति को इलाज के लिए पटना रेफ़र किया गया था जिसकी मौत हो गई है.

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इस बीच ज़िला प्रशासन ने शहर के सभी 51 वार्ड की बैठक भी बुलाई है ताकि शांति व्यवस्था बहाल की जा सके. नालंदा डीएम के मुताबिक़ बिहार शरीफ़ में फ़िलहाल हालात नियंत्रण में हैं.

रोहतास पुलिस

सासाराम में पलायन की ख़बर अफ़वाह- पुलिस

वहीं सासाराम में हिंसा के डर से लोगों के पलायन की ख़बर को पुलिस ने पूरी तरह से अफ़वाह बताया है.

पुलिस ने दावा किया है कि सासाराम में हालात पूरी तरह से काबू में हैं लोगों को अफ़वाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

सासाराम में भी रामनवमी के मौक़े पर हिंसा और दो समुदायों के बीच पत्थरबाज़ी हुई थी.

यहां रविवार यानी 2 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा होनी थी जिसे रद्द कर दिया गया.

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमित शाह की रैली के डर से यहां धारा 144 लगाई गई है. वहीं, रोहतास के ज़िलाधिकारी ने बीबीसी को बताया था कि ज़िले में कहीं भी धारा 144 नहीं लगाई गई है.

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बीजेपी के मंत्री नित्यानंद राय ने गिरिराज सिंह का ट्वीट साझा करते हुए कहा कि सासाराम में प्रशासनिक अधिकारी माइक पर ऐलान कर रहे हैं जबकि बिहार सरकार कह रही है कि ऐसा नहीं है.

बिहार शरीफ़ में बाज़ार बंद.
इमेज कैप्शन,बिहार शरीफ़ में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है.

सासाराम में हुई एक विस्फोट की घटना पर ज़िलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई को “रात 8-8:30 बजे सूचना मिली थी कि एक समुदाय के लोगों द्वारा एक समुदाय के धार्मिक स्थल पर विस्फोटक फेंका गया, जिसमें 6 लोग घायल हुए.”

“जांच में पता चला कि बगल के कमरे में रखे विस्फोटक को ग़लत तरह से रखा था. एफएसएल की टीम ने भी इसकी सत्यता की जांच की है. हमने फोर्स तैनात की है. लोग अफवाहों पर ध्यान न दें.”

रोहतास के एसपी विनीत कुमार ने बताया, “हमने अब तक करीब 32 लोगों को गिरफ़्तार किया है. हम टीम बनाकर छापेमारी कर रहे हैं.”

“हम वायरल वीडियो, सीसीटीवी फुटेज का सत्यापन करते हुए गिरफ़्तारियां कर रहे हैं. दंगाइयों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करेंगे. संवेदनशील जगहों पर फोर्स तैनात की है. विश्वास बहाली के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है.”

बिहार शरीफ़

कैसे शुरू हुई हिंसा

हिंसा के पीछे की वजहों को जानने के लिए पुलिस कमीश्नर और आईजी भी शहर के अलग अलग इलाक़ों में लगे सीसीटीवी फ़ुटेज को भी देखा है.

स्थानीय पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़ बिहार शरीफ़ में पिछले साल भी राम नवमी की शोभा यात्रा निकाली गई थी लेकिन कोई हिंसा नहीं हुई थी. यहां मुहर्रम में भी कोई हिंसा नहीं हुई थी.

लेकिन इस बार राम नवमी की शोभा यात्रा में भीड़ काफ़ी ज़्यादा थी. पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़ इस यात्रा का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल मिलकर करते हैं, इस बार की यात्रा में लोग ज़्यादा उत्तेजित नज़र आ रहे थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिहार शरीफ़ में पिछले क़रीब 4 दशकों से इस तरह की हिंसा नहीं हुई थी. इस बीच पुलिस और प्रशासन के लिए भी रविवार की रात ख़ास नज़र रखने की चुनौती होगी.

दरअसल यहां शुक्रवार और शनिवार को भी रात के समय में ही ज़्यादा हिंसा हुई है.

अमित शाह

अमित शाह ने नवादा की रैली में क्या कहा?

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दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर

समाप्त

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार दोपहर नवादा रैली में नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण मैं सासाराम नहीं जा सका. वहां लोग मारे जा रहे हैं, गोलियां चल रही हैं. मैं अपने अगले दौरे में वहां ज़रूर जाऊंगा.’

उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार शरीफ़ और सासाराम में आग लगी हुई है, “मैंने सुबह गवर्नर साहब को फोन किया तो लल्लन सिंह जी बुरा मान गए कि आप क्यों बिहार की चिंता करते हो?”

उन्होंने कहा कि ‘दंगा मुक्त बिहार बनाना है तो यहां की चालीस की चालीस सीटें मोदी को दीजिए हम दंगाइयों को सज़ा देंगे.’

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार के आग्रह के बाद अतिरिक्त अर्धसैनिक बल भेजे जाएंगे. माना जा रहा है कि गवर्नर ने अमित शाह को राज्य की स्थिति से अवगत कराया है.

सासाराम में ज़िला प्रशासन शुक्रवार दोपहर को हुई हिंसा के बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी थी. गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को अपना सासाराम दौरा रद्द कर दिया था.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार सरकार को सासाराम का कार्यक्रम रद्द करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “जब कोई केंद्रीय मंत्री आता है तो राज्य सरकार उसकी सुरक्षा का बंदोबस्त करती है. वे क्यों आ रहे थे और अब क्यों नहीं आ रहे हैं, इस बारे में हमें कुछ नहीं पता.”

गिरिराज सिंह

गिरिराज सिंह बोले- बंगाल की राह पर बिहार

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कि बिहार अब बंगाल के रास्ते पर चल पड़ा है. उन्होंने कहा कि जैसे बंगाल में हिंदुओं में डर का माहौल है, पलायन हो रहा है, वैसा ही अब बिहार में हो रहा है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को ये नहीं पता था कि राम नवमी के जुलूस पर पथराव करने की तैयारी पहले से की जा रही है तो वो किस बात के मुख्यमंत्री हैं, उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री जी आप कह दें कि आप सिर्फ़ मुसलमानों के मुख्यमंत्री हैं, आप कह दें कि हिंदू नालंदा छोड़ दें. वहां आपको वोट देने वाले हिंदू भी हैं. सासाराम में रात में भी ब्लास्ट हुआ है. आख़िर पुलिस क्या कर रही है.”

नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जनपद है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की प्रशासन पर पकड़ नहीं है, इसलिए अगर वे नालंदा नहीं बचा पाए, वहां के हिंदुओं को नहीं बचा पाए तो क्या नालंदा के हिंदू सब छोड़कर भाग जाएं? उन्होंने कहा कि अगर रामनवमी नालंदा में न मने तो क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया में मने?

नालंदा
इमेज कैप्शन,नालंदा में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है.

हिंसा फैलाने वालों पर कार्रवाई की मांग

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने एक वीडियो करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हिंसा फैलाने वालों को जेल भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने तेजस्वी यादव को टैग भी किया है.

इस वीडियो में नालंदा में हुए उपद्रव में घायल सुल्तान अंसारी का इंटरव्यू है जिसमें वो कह रहे हैं कि हिंसा कैसे फैली ये किसी को नहीं पता.

अंसारी के मुताबिक़, शहर की शांति कमेटी के वे वरिष्ठ सदस्य हैं और हिंसा को रोकने की भरसक कोशिश की गई लेकिन शांति कमेटी के सदस्यों की बुरी तरह पिटाई की गई और उनकी जान जाते जाते बची है.

INDIAIntertainment

ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਹਾਲਾਤ ਬਾਰੇ ਕੀ ਕਿਹਾ, ਜਿਸ ਨਾਲ ਛਿੜਿਆ ਵਿਵਾਦ

ਅਦਾਕਾਰਾ ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ ਆਪਣੇ ਵਿਵਾਦਿਤ ਬਿਆਨਾਂ ਕਰਕੇ ਅਕਸਰ ਚਰਚਾ ਵਿੱਚ ਰਹਿੰਦੇ ਹਨ।

ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੌਜੂਦਾ ਹਾਲਾਤ ਬਾਰੇ ਵੀ ਆਪਣੇ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਹੈਂਡਲ ’ਤੇ ਇੱਕ ਸਟੋਰੀ ਪਾਈ ਜਿਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇੱਕ ਵਾਰ ਫ਼ਿਰ ਉਹ ਅਲੋਚਣਾ ਦਾ ਸਾਹਮਣਾ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।

ਕੰਗਨਾ ਵਲੋਂ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਪੋਸਟ ਸਾਂਝੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਨੂੰ ਟੈਗ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ।

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਕਈ ਪੰਜਾਬ ਸੈਲੇਬਰਿਟੀਜ਼ ਨੂੰ ‘ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਵਾਇਰਸ ਵਾਲੀ ਬਿਮਾਰੀ ਹੈ’ ਤੇ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਖ਼ਿਲਾਫ ਸਖ਼ਤ ਕਾਰਵਾਈ ਕੀਤੇ ਜਾਣ ਦੀ ਗੱਲ ਆਖੀ।

ਇਸ ਪੋਸਟ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਚੱਲ ਰਹੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨਾਲ ਜੋੜਕੇ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਨੇ ਇਸ ਪੋਸਟ ਦਾ ਜਵਾਬ ਦਿੰਦਿਆਂ ਲਿਖਿਆ, “ਪੰਜਾਬ ਮੇਰਾ ਰਹੇ ਵਸਦਾ’।

ਕੰਗਨਾ ਤੇ ਦਿਲਜੀਤ ਦਰਮਿਆਨ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ’ਤੇ ਚੱਲ ਰਹੀ ਖਿਚੋਤਾਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਮਨੋਰੰਜਨ ਜਗਤ ਦੇ ਕਈ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਕੰਗਨਾ ਦੀ ਅਲੋਚਣਾ ਕੀਤੀ ਹੈ।

ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਕੀ ਕਿਹਾ

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਦਾਲਾਂ ਦੀ ਇੱਕ ਤਸਵੀਰ ਸਾਂਝੀ ਕਰਦਿਆਂ ਲਿਖਿਆ, ‘ਓਏ ਪਲਸ ਆ ਗਈ ਪਲਸ’। ਇਸ ਪੋਸਟ ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੰਜਾਬੀ ਗਾਇਕ ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਨੂੰ ਟੈਗ ਕੀਤਾ ਤੇ ਲਿਖਿਆ, “ਸਿਰਫ਼ ਕਹਿ ਰਹੀ ਹਾਂ”। (ਜਸਟ ਸੇਈਂਗ)

ਇਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇֹ’ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਕਾਰਵਾਈ ਚੱਲ ਰਹੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨਾਲ ਜੋੜਕੇ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਬੀਤੇ ਦਿਨੀਂ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਵਲੋਂ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ਾਂ ਦੇ ਚਲਦਿਆਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ 150 ਤੋਂ ਵੱਧ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਦੌਰਾਨ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਉੱਪਰ ਇੱਕ ਮੀਮ ‘ਪੁਲਸ ਆ ਗਈ ਪੁਲਸ’ ਵਾਇਰਲ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ ਵਲੋਂ ਦਾਲਾਂ ਦੀ ਤਸਵੀਰ ਸਾਂਝੀ ਕਰਕੇ ਪਲਸ ਆ ਗਈ ਪਲਸ ਲਿਖੇ ਜਾਣ ਨੂੰ ‘ਪੁਲਸ ਆ ਗਈ ਪੁਲਸ।’ ਮੀਮ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਹਮਾਇਤੀ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਬਾਰੇ ਕੀ ਕਿਹਾ

ਇੰਨਾਂ ਹੀ ਨਹੀਂ ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪੋਸਟ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ, “ਇਹ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨੀ ਵਾਇਰਸ ਵਾਲੀ ਬਿਮਾਰੀ ਨੇ ਉੱਥੇ (ਪੰਜਾਬ ’ਚ) ਕਈ ਸੈਲੇਬਰਿਟੀਜ਼ ਨੂੰ ਫ਼ੜ੍ਹਿਆ ਹੋਇਆ ਹੈ…”

“ਭਾਰਤ ਦੇ ਨਕਸ਼ੇ ਤੋਂ ਸਿਰ ਕੱਟਣ ਦੇ ਗੰਭੀਰ ਨਤੀਜੇ ਹੋਣਗੇ।”

“ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਇਨ੍ਹਾਂ ਮੁਲਜ਼ਿਮਾਂ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਸਖ਼ਤ ਕਾਨੂੰਨ ਬਣਾਉਣੇ ਚਾਹੀਦੇ ਹਨ…।”

ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ

ਦਿਲਜੀਤ ਨੂੰ ਟੈਗ ਕਰਕੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਦਾਲਾਂ ਵਾਲੀ ਪੋਸਟ ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਨੂੰ ਟੈਗ ਕੀਤਾ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਪੁਲਿਸ ਆਉਣ ਨਾਲ ਜੋੜਕੇ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ।

ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਹੋਰ ਪੋਸਟ ਕੀਤੀ ਜਿਸ ਵਿੱਚ ਦਿਲਜੀਤ ਨੂੰ ਸਵਾਲ ਕੀਤੇ ਗਏ ਹਨ।

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਲਿਖਿਆ, “ਪਹਿਲਾਂ ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਧਮਕੀਆਂ ਦਿੰਦਾ ਸੀ ਤੇ ਉਸ ਦੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨੀ ਸਰਮਥਕ ਵੀ ਬਹੁਤ ਬੋਲਦੇ ਸਨ…ਹੁਣ ਚੁੱਪ ਕਿਉਂ ਕਰ ਗਏ ਹਨ?”

“ਪਹਿਲਾਂ ਕਿਸ ਦੇ ਹੌਸਲੇ ਉੱਤੇ ਉੱਡ ਰਹੇ ਸਨ ਤੇ ਹੁਣ ਕਿਸ ਤੋਂ ਡਰ ਗਏ ਹਨ? ਇਸ ਬਾਰੇ ਦੱਸੋ?”

ਇੱਕ ਹੋਰ ਪੋਸਟ ‘ਚ ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਲਿਖਿਆ, ‘ਖਾਲਿਸਤਾਨੀਆਂ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਾਰੇ ਯਾਦ ਰੱਖਣ, ਪੁਲਿਸ ਆ ਚੁੱਕੀ, ਇਹ ਉਹ ਸਮਾਂ ਨਹੀਂ ਹੈ, ਜਦੋਂ ਕੋਈ ਕੁਝ ਵੀ ਕਰਦਾ ਸੀ, ਦੇਸ਼ ਨਾਲ ਗੱਦਾਰੀ ਜਾਂ ਟੁਕੜੇ-ਟੁਕੜੇ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਹੁਣ ਮਹਿੰਗੀ ਪਵੇਗੀ।’

ਇਸ ਪੋਸਟ ਵਿੱਚ ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਹਥਕੜੀ ਦੇ ਨਾਲ ਨਾਲ ਇੱਕ ਮਹਿਲਾ ਪੁਲਿਸ ਕਰਮੀ ਦਾ ਸਟਿੱਕਰ ਵੀ ਲਗਾਇਆ ਹੈ।

ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ

ਦਿਲਜੀਤ ਦਾ ਜਵਾਬ

ਕੰਗਨਾ ਰਣੌਤ ਤੇ ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ ਪਹਿਲਾਂ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮਸਲਿਆਂ ਉੱਤੇ ਇੱਕ ਦੂਜੇ ਨਾਲ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ’ਤੇ ਬਹਿਸ ਕਰਦੇ ਕਈ ਵਾਰ ਦੇਖੇ ਗਏ ਹਨ।

ਇਸ ਵਾਰ ਦਿਲਜੀਤ ਨੇ ਕੰਗਨਾ ਦੀ ਪੋਸਟ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਲਿਖਿਆ, “ਪੰਜਾਬ ਮੇਰਾ ਰਹੇ ਵੱਸਦਾ।’

ਦਿਲਜੀਤ ਦੇ ਇਸ ਜਵਾਬ ਨੂੰ ਸੋਸ਼ਲ ਮੀਡੀਆ ਉੱਤੇ ਸਰਾਹਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਦਿਲਜੀਤ ਦੋਸਾਂਝ

ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਬੈਠੇ ਕਲਾਕਾਰਾਂ ਨੇ ਕੀ ਕਿਹਾ

ਪੰਜਾਬ ਗਾਇਕ ਕਰਨ ਔਜਲਾ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਬਾਰੇ ਆਪਣੇ ਵਿਚਾਰ ਪ੍ਰਗਟਦਿਆ ਲਿਖਿਆ, “ਬਿਨਾ ਸੱਚੇ ਤੁਰਿਆ ਨੇੜੇ ਕੀ ਤੇ ਦੂਰ ਕੀ, ਪਹਿਲਾਂ ਦੁੱਖ ਭੁੱਲਿਆ ਨਹੀਂ..ਹੋਰ ਹੋਣਾ ਚੂਰ ਕੀ। ਉਹਨੂੰ ਹੀ ਪਤਾ ਹੁੰਦਾ, ਮਜਬੂਰ ਕੀ ਪੰਜਾਬ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦੀਆਂ ਮਾਵਾਂ ਦਾ ਕਸੂਰ ਕੀ?”

ਕਰਨ ਔਜਲਾ ਦੀ ਇਸ ਪੋਸਟ ਨੂੰ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ 1984 ਦੇ ਹਾਲਾਤ ਨਾਲ ਜੋੜਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਤੇ ਕੰਗਨਾ ਨੂੰ ਦਿੱਤੇ ਜਵਾਬ ਵਜੋਂ ਦੇਖਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਅਰਨ ਔਜਲਾ

ਕੰਗਨਾ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਬਾਰੇ ਵਿਵਾਦਿਤ ਬਿਆਨ

ਦੇਸ਼ ਭਰ ਦੇ ਕਿਸਾਨਾ ਵਲੋਂ ਤਿੰਨ ਖੇਤੀ ਕਾਨੂੰਨਾਂ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਸਾਲ ਭਰ ਚੱਲੇ ਅੰਦੋਲਨ ਦੌਰਾਨ ਵੀ ਕੰਗਨਾ ਆਪਣੇ ਬਿਆਨਾਂ ਕਰਕੇ ਵਿਵਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹੇ ਸਨ।

ਸਤੰਬਰ 2020 ਵਿੱਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਮੁਜ਼ਾਹਰਾਕਾਰੀ ਕਿਸਾਨਾਂ ਬਾਰੇ ਇੱਕ ਟਵੀਟ ਵਿੱਚ ਲਿਖਿਆ, “ਉਹ ਲੋਕ ਜੋ ਸੀਏਏ ਬਾਰੇ ਗ਼ਲਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਤੇ ਅਫ਼ਵਾਹਾਂ ਫੈਲਾਅ ਰਹੇ ਸਨ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਕਾਰਨ ਦੰਗੇ ਹੋਏ, ਉਹੀ ਲੋਕ ਹੁਣ ਕਿਸਾਨ ਬਿੱਲ ਬਾਰੇ ਗ਼ਲਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਫੈਲਾਅ ਰਹੇ ਹਨ।”

“ਦੇਸ਼ ਵਿੱਚ ਦਹਿਸ਼ਤ ਪੈਦਾ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ, ਉਹ ‘ਅੱਤਵਾਦੀ’ ਹਨ। ਤੁਸੀਂ ਜਾਣਦੇ ਹੋ ਕਿ ਮੈਂ ਕੀ ਕਿਹਾ ਪਰ ਗ਼ਲਤ ਜਾਣਕਾਰੀ ਫੈਲਾਉਣਾ ਕੁਝ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਪੰਸਦ ਹੈ।”

ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਸੋਮਵਾਰ ਨੂੰ ਫ਼ਿਰ ਟਵੀਟ ਕੀਤਾ ਅਤੇ ਸਪੱਸ਼ਟੀਕਰਨ ਜਾਰੀ ਕਰਦਿਆਂ ਕਿਹਾ ਕਿ ਜੇ ਕੋਈ ਸਾਬਤ ਕਰਦਾ ਹੈ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ ‘ਅੱਤਵਾਦੀ’ ਕਿਹਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਟਵਿੱਟਰ ਡਿਲੀਟ ਕਰ ਦੇਵੇਗੀ।

ਕੰਗਨਾ ਨੇ ਪਹਿਲੇ ਟਵੀਟ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਪਣੀ ਸਫਾਈ ਵਿਚ ਦੋ ਟਵੀਟ ਕੀਤੇ। ਹਾਲਾਂਕਿ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪਹਿਲਾ ਟਵੀਟ ਡਿਲੀਟ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਸੀ।

ਕੰਗਨਾ ਆਪਣੇ ਕਹੀ ‘ਤੇ ਅੜੇ ਰਹੇ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਸੀ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖੇਤੀ ਬਿੱਲ ਬਾਰੇ ਅਫਵਾਹਾਂ ਫ਼ੈਲਾਉਣ ਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ‘ਅੱਤਵਾਦੀ’ ਕਿਹਾ ਹੈ ਨਾ ਕਿ ਕਿਸਾਨਾਂ ਨੂੰ।

INDIAPUNJABSIKH SANGAT

खालिस्तान की मांग कितनी पुरानी है और कितनी बार और किस रूप में उठाई जाती रही है !

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

”ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਨਹੀਂ ਮੰਨਦਾ। ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਮੌਜੂਦ ਪਾਸਪੋਰਟ ਮੈਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਦਿੰਦਾ, ਇਹ ਮਹਿਜ਼ ਇੱਕ ਯਾਤਰਾ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਹੈ।”

ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਮਰਹੂਮ ਦੀਪ ਸਿੱਧੂ ਵੱਲੋਂ ਬਣਾਈ ਗਈ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਅਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇ ਹਮਾਇਤੀ ਹਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਪੁਰਜ਼ੋਰ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਚੁੱਕਣ ਦੇ ਚਲਦਿਆਂ ਵਿਵਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹੇ ਹਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਹੁਣ ਕਈ ਕੇਸ ਦਰਜ ਹਨ ਤੇ ਫ਼ਿਲਹਾਲ ਫਰਾਰ ਹਨ।

ਪਰ ਇੱਥੇ ਕੁਝ ਸਵਾਲ ਸਹਿਜ ਹੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਆਖ਼ਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਹੈ ਕੀ ਅਤੇ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਇਸ ਦੀ ਮੰਗ ਕਦੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ।

ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਕੁਝ ਸਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਲੇਖ ਵਿੱਚ ਦੇਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਰਹੇ ਹਾਂ।

ਖਾਲਿਸਤਾਨ

ਜਦੋਂ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਖੁਦਮੁਖ਼ਤਾਰੀ ਜਾਂ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਉੱਠਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖੋਂ ਭਾਰਤੀ ਪੰਜਾਬ ਵੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਸਥਾਨ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ ਅੱਜ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ। ਇਹ ਅਣਵੰਡੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਸੀ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਖੇਤਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 1995 ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੰਘਰਸ਼ ਖਤਮ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ। ਬੀਤੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਸੰਗਰੂਰ ਤੋਂ ਮੈਂਬਰ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਮੁਖੀ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਨੇ ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਹੈ।

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਲਈ ਲੋਕਤੰਤਰਿਕ ਤੇ ਸ਼ਾਂਤਮਈ ਤਰੀਕੇ ਅਪਣਾਉਣ ਦੀ ਵਕਾਲਤ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਅਮਰੀਕਾ ਦੀ ਜਥੇਬੰਦੀ ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਵੀ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਹਾਲਾਂਕਿ ਅਜਿਹੀਆਂ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸੀਮਿਤ ਅਧਾਰ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦਲ ਖ਼ਾਲਸਾ ਵਲੋਂ ਵੀ ਲਗਾਤਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਹੁੰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ।

ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਕਦੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ?

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਜ਼ਿਕਰ 1940 ਵਿੱਚ ਹੋਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਦੋਂ ਡਾ. ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਭੱਟੀ ਨੇ ਇੱਕ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਇਸ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਮੁਸਲਿਮ ਲੀਗ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਦਾ ਜਵਾਬ ਸੀ।

ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ 1966 ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ‘ਰਿ-ਆਰਗੇਨਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨ’ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 60ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੱਧ ‘ਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਅਕਾਲੀ ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਖਿੱਤੇ ਦਾ ਮੁੱਦਾ ਚੁੱਕਿਆ ਸੀ।

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਮੰਗ ਕੁਝ ਸਿੱਖ ਆਗੂਆਂ ਜਿਵੇਂ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਚਰਨ ਸਿੰਘ ਪੰਛੀ ਤੇ ਫ਼ਿਰ 70ਵਿਆਂ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਡਾਕਟਰ ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਚੌਹਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ।

ਡਾ. ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਚੌਹਾਨ 1970ਵੇ ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿੱਚ ਬਰਤਾਨੀਆ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਬੇਸ ਬਣਾ ਕੇ ਅਮਰੀਕਾ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਦੌਰਾ ਵੀ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ਸਨ।

ਕੁਝ ਨੌਜਵਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਤੇ ਹੋਰ ਸਿਆਸੀ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਲਈ 1978 ਵਿੱਚ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿੱਚ ਦਲ ਖ਼ਾਲਸਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ।

ਵੀਡੀਓ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀਆਂ, ਮਤਭੇਦਾਂ ਅਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਬਾਰੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦਾ ਜਵਾਬ

ਕੀ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲੇ ਨੇ ਕਦੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਚੁੱਕੀ ਸੀ ?

ਸਿੱਖ ਖਾੜਕੂਆਂ ਦੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਗੇੜ ਸਾਲ 1984 ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਬਲਿਊ ਸਟਾਰ ਤਹਿਤ ਫ਼ੌਜੀ ਹਮਲੇ ਨਾਲ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ। ਇਸ ਨੂੰ ‘ਆਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਬਲੂ ਸਟਾਰ’ ਕਿਹਾ ਗਿਆ।

ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੰਤ ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲੇ ਦੀ ਇਸ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਚ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇੇ ਕਦੇ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਦੇ ਇਸ ਦੀ ਮੰਗ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕੀਤੀ।

ਹਾਂ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਨਾਅਰਾ ਜ਼ਰੂਰ ਬਣਾਇਆ ਸੀ- ‘ਸ੍ਰੀ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਫ਼ੌਜੀ ਹਮਲਾ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੇਗਾ।’

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਵੱਲੋਂ ਅਪਣਾਏ ਗਏ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ 1973 ਦੇ ਮਤੇ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਦਬਾਅ ਪਾਇਆ ਸੀ।

ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲਾ
BBC

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਮਾਮਲੇ ਵਿੱਚ ਹੁਣ ਤੱਕ ਕੀ-ਕੀ ਹੋਇਆ

  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਤੇ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਕਾਰਕੁਨਾਂ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ 18 ਮਾਰਚ ਤੋਂ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ
  • ਪੁਲਿਸ ਮੁਤਾਬਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਫ਼ਰਾਰ ਹੈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ 150 ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਾਰਕੁਨ ਹਿਰਾਸਤ ਵਿੱਚ ਹਨ
  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਇਲਜ਼ਾਮ ਹੈ ਕਿ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਹੈ
  • ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਵਕੀਲ ਨੇ ਹਾਈਕੋਰਟ ਵਿੱਚ ਬੰਦੀ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ ਕਰਵਾਉਣ ਲ਼ਈ ਪਟੀਸ਼ਨ ਦੀ ਸੁਣਵਾਈ ਦੌਰਾਨ ਕੋਰਟ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਵਾਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਇੰਨੀ ਵੱਡੀ ਪੁਲਿਸ ਨਫ਼ਰੀ ਵਿੱਚ ਉਹ ਕਿਵੇਂ ਬਚ ਗਿਆ
  • ਪੁਲਿਸ ਮੁਤਾਬਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੂੰ ਆਖ਼ਰੀ ਵਾਰ ਇੱਕ ਵੀਡੀਓ ਫ਼ੁਟੇਜ਼ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਹਬਾਦ ’ਚ ਦੇਖਿਆ ਗਿਆ
  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ 7 ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦਿਬੜੂਗੜ੍ਹ ਅਸਾਮ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ NSA ਲੱਗਿਆ ਹੈ
  • ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਾਰੀ ਪੁਲਿਸ ਫੋਰਸ ਤੈਨਾਤ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਕੇਬੰਦੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ਤੇ ਫ਼ਲੈਗ ਮਾਰਚ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ
  • ਪੰਜਾਬ ਸਣੇ ਇੰਗਲੈਂਡ, ਅਮਰੀਕਾ ਵਰਗੀਆਂ ਥਾਵਾਂ ਉੱਤੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਮੁਜ਼ਾਹਰੇ ਵੀ ਹੋਏ ਹਨ
BBC
ਖਾਲਿਸਤਾਨ

ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ ਕੀ ਹੈ ?

ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰੀ ਬਾਰੇ 1973 ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮਤੇ ਵਿੱਚ ਸਿਆਸੀ ਟੀਚੇ ਕੁਝ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੱਸੇ ਗਏ ਹਨੈ, “ਪੰਥ (ਸਿੱਖ ਧਰਮ) ਦਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਟੀਚਾ, ਬਿਨਾਂ ਸ਼ੱਕ, ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਪੰਨਿਆਂ ’ਚ, ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੇ ਹਿਰਦੇ ਵਿੱਚ, ਦਸਵੇਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਕਿਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਅੰਤਮ ਉਦੇਸ਼ ਖਾਲਸੇ ਦਾ ਬੋਲ-ਬਾਲਾ ਹੈ।”

“ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦੀ ਨੀਤੀ ਇੱਕ ਭੂ-ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਮਾਹੌਲ ਅਤੇ ਇੱਕ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸਥਾਪਨਾ ਦੁਆਰਾ ਖਾਲਸੇ ਦੇ ਇਸ ਜਨਮ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਹੈ।”

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਅਤੇ ਸਿਆਸੀ ਢਾਂਚੇ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮਤੇ ਦਾ ਮਕਸਦ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਸੂਬਾ ਬਣਾਉਣਾ ਸੀ। ਇਸ ਮਤੇ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਮੰਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ।

ਇਸ ਮਤੇ ਨੂੰ 1977 ਵਿੱਚ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੀ ਜਨਰਲ ਹਾਊਸ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨੀਤੀ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਤਹਿਤ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ। ਅਗਲੇ ਹੀ ਸਾਲ ਅਕਤੂਬਰ 1978 ਵਿੱਚ ਲੁਧਿਆਣਾ ਕਾਨਫਰੰਸ ਦੌਰਾਨ ਪਾਸਾ ਵੱਟ ਲਿਆ ਗਿਆ।

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਇਸ ਕਾਨਫਰੰਸ ਵਿੱਚ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰੀ ਬਾਰੇ ਮਤੇ ਨੰਬਰ ਇੱਕ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਤਤਕਾਲੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੋਹੜਾ ਨੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਸੀ ਤੇ ਤਤਕਾਲੀ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਇਸ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਸੀ।

ਇਹ ਮਤਾ ਨੰਬਰ ਇੱਕ ਹੀ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਅਨੰਦਪੁਰ ਮਤੇ ਦਾ 1978 ਵਾਲੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਣ ਲੱਗਿਆ।

ਖਾਲਿਸਤਾਨ

1978 ਵਾਲਾ ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ

1978 ਵਾਲਾ ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ: “ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੂੰ ਅਹਿਸਾਸ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਸੰਘੀ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਸ਼ਾਵਾਂ, ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਾਂ ਦੀ ਇਕਾਈ ਹੈ।”

“ਧਰਮ ਅਤੇ ਭਾਸ਼ਾ ਪੱਖੋਂ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦੀ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ, ਲੋਕਤੰਤਰਿਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਨ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਤਰੱਕੀ ਨੂੰ ਪੱਕਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇਹ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਸੰਵਿਧਾਨਿਕ ਸਰੰਚਨਾ ਨੂੰ ਕੇਂਦਰ ਅਤੇ ਸੂਬਿਆਂ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਅਤੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕਰਕੇ ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਅਤੇ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸੰਘੀ ਢਾਂਚਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।”

ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਦੋਂ ਚੁੱਕੀ ਗਈ ਸੀ ?

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ 29 ਅਪ੍ਰੈਲ 1986 ਨੂੰ ਖਾੜਕੂ ਸੰਗਠਨਾਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਮੋਰਚੇ ਪੰਥਕ ਕਮੇਟੀ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ।

ਇਸ ਦਾ ਰਾਜਸੀ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਇੰਝ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ: “ਪਵਿੱਤਰ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦੇ ਖ਼ਾਸ ਦਿਹਾੜੇ ‘ਤੇ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਮੁਲਕਾਂ, ਸਰਕਾਰਾਂ ਸਾਹਮਣੇ ਐਲਾਨ ਕਰਦੇ ਹੋਏ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੱਸ ਰਹੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅੱਜ ਤੋਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦਾ ‘ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ’ ਅਲੱਗ ਘਰ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿੱਥੇ ਸਾਰੇ ਖਾਲਸੇ ਦੇ ਆਸ਼ੇ ਮੁਤਾਬਕ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣਗੇ।”

“ਅਜਿਹੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਉੱਚੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ, ਜਿਹੜੇ ਸਰਬਤ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰਣਗੇ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਖ਼ੂਨ-ਪਸੀਨੇ ਦੀ ਕਮਾਈ ਨਾਲ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਕਰਦੇ ਹੋਣਗੇ।”

ਭਾਰਤੀ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਆਈਪੀਐੱਸ ਅਫ਼ਸਰ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਨੇ ਸਾਲ 1989 ਵਿੱਚ ਜੇਲ੍ਹ ‘ਚੋਂ ਰਿਹਾਅ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਮੁੱਦੇ ਨੂੰ ਚੁੱਕਿਆ ਸੀ। ਪਰ ਉਹ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਆਪਣਾ ਰੁਖ਼ ਬਦਲਦੇ ਰਹੇ।

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਹੁਣ ਸੰਗਰੂਰ ਤੋਂ ਮੈਂਬਰ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਏਕਤਾ ਤੇ ਅਖੰਡਤਾ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੀ ਸਹੁੰ ਚੁੱਕੀ ਹੈ।

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦਾ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਬਾਰੇ ਕੀ ਰੁਖ਼ ?

ਸਾਲ 1992 ਵਿੱਚ ਇਹ ਮੁੱਦਾ ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਆਗੂਆਂ ਵੱਲੋਂ ਚੁੱਕਿਆ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਸਬੰਧੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 22 ਅਪ੍ਰੈਲ, 1992 ਨੂੰ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਵੀ ਸੌਂਪਿਆ ਸੀ।

ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਦਾ ਆਖ਼ਰੀ ਪੈਰ੍ਹਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸੀ, “ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਆਰਥਿਕ, ਸਮਾਜਕ ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਹੱਕਾਂ ਦੀ ਰਾਖੀ ਅਤੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਬਹਾਲੀ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਘੇਰੇ ‘ਚੋਂ ਕੱਢਣਾ ਅਤੇ ਗ਼ੈਰ-ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਬਣਾਉਣਾ ਅਹਿਮ ਕਦਮ ਹੈ। ਦੁਨੀਆਂ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਆਜ਼ਾਦ ਕੌਮਾਂ ਵਾਂਗ ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਵੀ ਹੈ।”

“ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦੀ ਨਾਲ ਰਹਿਣ ਦੇ ਹੱਕ ਸਬੰਧੀ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਮੁਤਾਬਕ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦ ਹਸਤੀ ਬਹਾਲ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਤਕਰੇ, ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਅਤੇ ਗ਼ੁਲਾਮੀ ਅਤੇ ਰਾਜਸੀ ਵਿਰੋਧੀ ਬੰਧਨਾਂ ‘ਚੋਂ ਮੁਕਤੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।”

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਦੀ ਇੱਕ ਪੁਰਾਣੀ ਤਸਵੀਰ

ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਦੇਣ ਵੇਲੇ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਸਣੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ।

ਇਸ ਮੈਮੋਰੈਂਡਮ ‘ਤੇ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਤਤਕਾਲੀ ਐੱਸਜੀਪੀਸੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਨੇ ਦਸਤਖ਼ਤ ਕੀਤੇ ਸਨ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਅਤੇ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਵੱਲੋਂ ਇਸ ਬਾਰੇ ਕਦੇ ਜ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ।

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਫ਼ਰਵਰੀ 1996 ਨੂੰ ਮੋਗਾ ਵਿੱਚ ਕਰਵਾਈ ਗਈ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ 75ਵੀਂ ਵਰ੍ਹੇਗੰਢ ‘ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀਅਤ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਮੀ ਮਤਾ ਨਹੀਂ ਸੀ।

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਐਲਾਨਨਾਮਾ-ਅਮਰਿੰਦਰ ਤੇ ਬਰਨਾਲਾ ਦਾ ਰੁਖ਼ ਕੀ ਸੀ ?

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਦੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ (ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਨੇ 1994 ਵਿੱਚ ਰਾਜਸੀ ਨਿਸ਼ਾਨੇ ਮੁੜ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਵੀ ਹਸਤਾਖ਼ਰ ਕੀਤੇ ਸਨ। ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਇਸ ਉੱਤੇ ਹਸਤਾਖ਼ਰ ਨਹੀਂ ਸਨ।

ਇਹ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਵਜੋਂ ਵੀ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਪਹਿਲੀ ਮਈ, 1994 ਨੂੰ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਹੇਠ ਦਸਤਖ਼ਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸੀ।

ਇਸ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਮੁਤਾਬਕ, “ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ ਕਿ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ (ਇੰਡੀਆ) ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀਆਂ ਦਾ ਉੱਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਹੈ, ਹਰੇਕ ਆਪਣੀ ਵਿਰਾਸਤ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਧਾਰਾ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ।”

“ਇਸ ਉੱਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਨੂੰ ਮਹਾਂਸੰਘੀ ਸਰੰਚਨਾ ਦੇ ਨਾਲ ਪੁਨਰਗਠਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਹਰੇਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਤਿਭਾ ਅਨੁਸਾਰ ਖਿੜ੍ਹ ਸਕੇ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਬਗ਼ੀਚੇ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵੱਖਰੀ ਖੁਸ਼ਬੂ ਛੱਡੀ ਜਾ ਸਕੇ।”

ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ

“ਜੇਕਰ ਅਜਿਹੇ ਇੱਕ ਸੰਗਠਨਾਤਮਕ ਪੁਨਰਗਠਨ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨੀ (ਭਾਰਤੀ) ਸ਼ਾਸਕਾਂ (ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ) ਵੱਲੋਂ ਸਵੀਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਕੋਲ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਅਤੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕੋਈ ਹੋਰ ਬਦਲ ਨਹੀਂ ਹੈ।”

ਇਸ ‘ਤੇ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਜਗਦੇਵ ਸਿੰਘ ਤਲਵੰਡੀ, ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਕਰਨਲ ਜਸਮੇਰ ਸਿੰਘ ਬਾਲਾ, ਭਾਈ ਮਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਦਸਤਖ਼ਤ ਸਨ।

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਹੁਣ ਕਿੱਥੇ-ਕਿੱਥੇ ਉੱਠ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਆਵਾਜ਼ਾਂ ?

ਹੁਣ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਅਮਰੀਕਾ, ਕੈਨੇਡਾ ਅਤੇ ਯੂਕੇ ਵਰਗੇ ਦੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸੇ ਕਈ ਸਿੱਖਾਂ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜਿਹੜੇ ਧੜੇ ਇਸ ਮੁੱਦੇ ਦਾ ਰਾਗ ਲਗਾਤਾਰ ਅਲਾਪ ਰਹੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤੀ ਹਮਾਇਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੈ।

ਅਜਿਹੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੁਕਵੇਂ ਸੰਕੇਤ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਕਿ ਕੈਨੇਡੀਅਨ ਸਿਆਸਤਦਾਨਾਂ ਨੇ ਚਾਹੇ ਇਸ ਵਿਚਾਰ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਾ ਕੋਈ ਹਮਾਇਤੀ ਨਹੀਂ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਫਾਰ ਜਸਟਿਸ

ਅਮਰੀਕਾ ਤੋਂ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨਾਮ ਦੇ ਇਸ ਸਮੂਹ ‘ਤੇ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ 10 ਜੁਲਾਈ, 2019 ਨੂੰ ਵੱਖਵਾਦੀ ਏਜੰਡੇ ਤਹਿਤ ਕੰਮ ਕਰਨ ਕਰਕੇ ਪਾਬੰਦੀ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ਸੀ।

ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਯੂਏਪੀਏ ਤਹਿਤ ਇਸ ਸਮੂਹ ‘ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇੱਕ ਸਾਲ ਬਾਅਦ 2020 ‘ਚ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨੀ ਸਮੂਹਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜੇ 9 ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅੱਤਵਾਦੀ ਐਲਾਨਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਤਕਰੀਬਨ 40 ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਪੱਖੀ ਵੈੱਬਸਾਈਟਾਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨੇ ਕੈਨੇਡਾ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਥਾਵਾਂ ‘ਤੇ ‘ਰਾਇਸ਼ਮੁਾਰੀ’ ਕਰਵਾਉਣ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਸਨ।

ਇਸ ਸਮੂਹ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਭਾਰਤ ਅੰਦਰ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਮੁਲਕ ਦੀ ਹੋਂਦ ਕਾਇਮ ਕਰਨਾ ਹੈ। ਜਿਸ ਲਈ ਉਹ ਸਿੱਖ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਸਮਰਥਨ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਰੈਫਰੈਂਡਮ

ਸਿੱਖ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਕੀ ਹੈ ?

ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨਾਮਕ ਗਰੁੱਪ ਸਾਲ 2007 ‘ਚ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਖੇ ਬਣਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਚਿਹਰਾ ਗੁਰਪਤਵੰਤ ਸਿੰਘ ਪੰਨੂ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਤੋਂ ਕਾਨੂੰਨ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਮਰੀਕਾ ‘ਚ ਵਕਾਲਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।

ਉਹ ਗਰੁੱਪ ਦੇ ਕਾਨੂੰਨੀ ਸਲਾਹਕਾਰ ਵੀ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ‘ਚ ‘ਰੈਫਰੈਂਡਮ 2020’ ਕਰਵਾਉਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ।

ਇਸ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਕੈਨੇਡਾ ਅਤੇ ਕਈ ਹੋਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਾਇਸ਼ੁਮਾਰੀ ਕਰਵਾਈ ਪਰ ਕੌਮਾਂਤਰੀ ਸਿਆਸਤ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਾਸ ਤਰਜੀਹ ਨਹੀਂ ਮਿਲੀ।

ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਦੇ ਜਥੇਦਾਰ ਦਾ ਇਸ ਬਾਰੇ ਰੁਖ਼

ਸਾਲ 2020 ਵਿੱਚ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਬਲੂ ਸਟਾਰ ਦੀ ਬਰਸੀ ਮੌਕੇ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਦੇ ਜਥੇਦਾਰ ਗਿਆਨੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਜਾਇਜ਼ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੱਤਰਕਾਰਾਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਦੌਰਾਨ ਕਿਹਾ ਸੀ, ”ਸਿੱਖ ਇਸ ਘੱਲੂਘਾਰੇ ਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਅੰਨ੍ਹਾ ਕੀ ਭਾਲੇ ਦੋ ਅੱਖਾਂ, ਦੁਨੀਆਂ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਸਿੱਖ ਹੈ ਜੋ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਨਹੀਂ ਚਾਹੁੰਦਾ। ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇਵੇਗੀ ਤਾਂ ਲੈ ਲਵਾਂਗੇ।”

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राहुल गांधी के घर पहुंची दिल्ली पुलिस तो नाराज कांग्रेस ने किया हंगामा, उठाया ये सवाल

ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ‘ਔਰਤਾਂ ‘ਤੇ ਹੋਰ ਰਹੇ ਜਿਨਸੀ ਹਮਲਿਆਂ’ ਬਾਰੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਟਿੱਪਣੀ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਦਿੱਲੀ ਪੁਲਿਸ ਕਾਂਗਰਸ ਆਗੂ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦੇ ਘਰ ਪਹੁੰਚੀ ਸੀ।

ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦੇ ਘਰ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਆਉਣ ਦਾ ਕਾਂਗਰਸ ਸਖ਼ਤ ਵਿਰੋਧ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪਾਰਟੀ ਵਰਕਰ ਇਸ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਰੋਸ ਜਤਾ ਰਹੇ ਹਨ।

ਸਪੈਸ਼ਲ ਕਮਿਸ਼ਨਰ (ਕਾਨੂੰਨ ਅਤੇ ਵਿਵਸਥਾ) ਸਾਗਰ ਪ੍ਰੀਤ ਹੁੱਡਾ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਦਿੱਲੀ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨਾਲ ਮੀਟਿੰਗ ਹੋਈ ਹੈ। ਜੋ ਜਾਣਕਾਰੀ ਅਸੀਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਕੋਲੋਂ ਮੰਗੀ ਹੈ, ਉਹ ਸਾਡੇ ਨਾਲ ਸਾਂਝਾ ਕਰਨਗੇ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੱਕ ਨੋਟਿਸ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ, ਜੋ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਦਫ਼ਤਰ ਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।”

ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ, “ਅਸੀਂ ਜਾਣਕਾਰੀ ਇਕੱਠੀ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕੀਤੀ ਸੀ ਪਰ ਸਾਨੂੰ ਕੋਈ ਜਾਣਕਾਰੀ ਨਹੀਂ ਮਿਲੀ। ਅੱਜ ਤੀਜੀ ਵਾਰ ਪੁਲਿਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਰ ਗਈ ਪਰ ਹੁਣ ਤੱਕ ਸੰਸਦ ਮੈਂਬਰ ਨੇ ਕੋਈ ਜਾਣਕਾਰੀ ਨਹੀਂ ਦਿੱਤੀ ਹੈ।”

ਰਾਹੁਲ ਦੇ ਘਰ ਬਾਹਰ ਪੁਲਿਸ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਰਾਹੁਲ ਦੇ ਘਰ ਬਾਹਰ ਪੁਲਿਸ

ਸਪੈਸ਼ਲ ਕਮਿਸ਼ਨਰ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨੇ 30 ਜਨਵਰੀ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੀਨਗਰ ‘ਚ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਔਰਤਾਂ ਮਿਲੀਆਂ, ਜੋ ਰੋ ਰਹੀਆਂ ਸਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਬਲਾਤਕਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ। ਹੁਣ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਈ ਜਾਣਕਾਰੀਆਂ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕਰਨ ਵਿੱਚ ਸਮਾਂ ਲੱਗ ਸਕਦਾ ਹੈ ਪਰ ਉਹ ਜਲਦ ਹੀ ਜਾਣਕਾਰੀ ਦੇਣਗੇ।

ਆਪਣੇ ਬਿਆਨ ‘ਚ ਕੀ ਕਿਹਾ ਸੀ ਰਾਹੁਲ ਨੇ

ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਦੌਰਾਨ ਕਸ਼ਮੀਰ ਵਿੱਚ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ

ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਦੇ ਸ਼੍ਰੀਨਗਰ ਪਹੁੰਚਣ ‘ਤੇ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨੇ ਆਪਣੇ ਇੱਕ ਭਾਸ਼ਣ ‘ਚ ਕਿਹਾ ਸੀ ਇਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇਸ ਦੌਰਾਨ ਕਈ ਔਰਤਾਂ ਮਿਲੀਆਂ, ਜਿਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ‘ਉਨ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਬਲਾਤਕਾਰ ਹੋਇਆ ਸੀ’।

ਰਾਹੁਲ ਨੇ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਔਰਤਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ”ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਿਸੇ ਨੇ ਸ਼ੋਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਕਿਸੇ ਰਿਸ਼ਤੇਦਾਰ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਸ਼ੋਸ਼ਣ ਕੀਤਾ ਹੈ ਅਤੇ ਜਦੋਂ ਮੈਂ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕਹਿੰਦਾ ਸੀ ਕਿ ਭੈਣ ਮੈਂ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਦੱਸਾਂ..ਤਾਂ ਉਹ ਮੈਨੂੰ ਕਹਿੰਦੀਆਂ ਸਨ ਕਿ ਰਾਹੁਲ ਜੀ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਨਾ ਦੱਸੋ। ਅਸੀਂ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਾਂ ਕਿ ਤੁਹਾਨੂੰ ਪਤਾ ਹੋਵੇ, ਪਰ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਨਾ ਦੱਸਣਾ, ਸਾਡਾ ਹੋਰ ਵੀ ਨੁਕਸਾਨ ਹੋ ਜਾਵੇਗਾ।”

ਲਾਈਨ

ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਬਾਰੇ ਖਾਸ ਗੱਲਾਂ

  • ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦੀ ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਸਤੰਬਰ ਮਹੀਨੇ ‘ਚ ਕੰਨਿਆਕੁਮਾਰੀ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਈ ਸੀ
  • ਦੇਸ਼ ਦੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਸੂਬਿਆਂ ਦੇ 75 ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਲੰਘੀ ਇਹ ਯਾਤਰਾ ਸ਼੍ਰੀਨਗਰ ਦੇ ਲਾਲ ਚੌਕ ‘ਚ ਖ਼ਤਮ ਹੋਈ ਸੀ
  • ਕਾਂਗਰਸ ਮੁਤਾਬਕ, ਇਹ ਯਾਤਰਾ 136 ਦਿਨਾਂ ‘ਚ ਪੂਰੀ ਹੋਈ ਸੀ, ਇਨ੍ਹਾਂ 136 ਦਿਨਾਂ ਵਿੱਚੋਂ 116 ਦਿਨ ਚੱਲਣ ਵਾਲੇ ਦਿਨ ਸਨ
  • ਯਾਤਰਾ ‘ਚ ਸ਼ਾਮਲ ਲੋਕ ਰੋਜ਼ਾਨਾ ਲਗਭਗ 23-24 ਕਿਲੋਮੀਟਰ ਤੱਕ ਚੱਲਦੇ ਸਨ
  • ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ (ਯੂਨਾਇਟ ਇੰਡੀਆ ਮਾਰਚ) ਇੱਕ ਸਿਆਸੀ ਮਾਰਚ ਸੀ
  • ਇਸ ਦਾ ਟੀਚਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਮੰਤਰੀ ਨਰਿੰਦਰ ਮੋਦੀ ਦੀ ਸੱਤਾਧਾਰੀ ਭਾਰਤੀ ਜਨਤਾ ਪਾਰਟੀ (ਬੀਜੇਪੀ) ਨੂੰ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਬਣਾਉਣਾ ਸੀ
  • ਹਾਲਾਂਕਿ, ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਆਪ ਇਸ ਯਾਤਰਾ ਬਾਰੇ ਕਹਿੰਦੇ ਰਹੇ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਨੂੰ ਵੋਟਾਂ ਦੀ ਸਿਆਸਤ ਨਾਲ ਜੋੜ ਕੇ ਨਾ ਦੇਖਿਆ ਜਾਵੇ
  • ਇਸ ਯਾਤਰਾ ‘ਚ ਸਿਆਸੀ ਕਾਰਕੁਨ ਤੇ ਫ਼ਿਲਮੀ ਸਿਤਾਰਿਆਂ ਸਣੇ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ‘ਚ ਆਮ ਲੋਕ ਜੁੜੇ ਸਨ
ਲਾਈਨ

ਭੜਕੇ ਕਾਂਗਰਸ ਆਗੂ

ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦੇ ਘਰ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਪਹੁੰਚਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਹੀ ਕਾਂਗਰਸ ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰ ‘ਤੇ ਹਮਲਾ ਬੋਲ ਦਿੱਤਾ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਕਿ ਜੇਕਰ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨੋਟਿਸ ਦਾ ਜਵਾਬ ਦੇ ਰਹੇ ਹਨ ਤਾਂ ਪੁਲਿਸ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਘਰ ਕਿਉਂ ਆਈ।

ਦਿੱਲੀ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨੂੰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਬਿਆਨ ‘ਤੇ ਨੋਟਿਸ ਭੇਜਿਆ ਸੀ, ਜਿਸ ‘ਚ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਕੁਝ ਸਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਦੇਣ ਲਈ ਕਿਹਾ ਗਿਆ ਸੀ।

ਰਾਜਸਥਾਨ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਅਸ਼ੋਕ ਗਹਿਲੋਤ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਉਨ੍ਹਾਂ (ਪੁਲਿਸ) ਲਈ ਗ੍ਰਹਿ ਮੰਤਰਾਲੇ ਅਤੇ ਉਸ ਤੋਂ ਉੱਪਰ ਦੇ ਨਿਰਦੇਸ਼ਾਂ ਤੋਂ ਬਿਨਾਂ ਇੱਥੇ ਤੱਕ ਪਹੁੰਚਣਾ ਸੰਭਵ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਜਦੋਂ ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਨੇ ਕਹਿ ਦਿੱਤਾ ਕਿ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਨੋਟਿਸ ਮਿਲਿਆ ਹੈ, ਉਹ ਇਸ ਦਾ ਜਵਾਬ ਦੇਣਗੇ, ਤਾਂ ਇਸ ਦੇ ਬਾਵਜੂਦ ਵੀ ਪੁਲਿਸ ਇੱਥੇ ਪਹੁੰਚ ਗਈ ਹੈ।”

ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ, “ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਹਿੰਮਤ ਕਿਵੇਂ ਹੋ ਗਈ ਕਿ ਇੱਥੋਂ ਤੱਕ ਕਿਵੇਂ ਪਹੁੰਚ ਗਏ। ਪੂਰਾ ਦੇਸ਼ ਇਨ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਹਰਕਤਾਂ ਨੂੰ ਦੇਖ ਰਿਹਾ ਹੈ। ਦੇਸ਼ ਇਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਮੁਆਫ ਨਹੀਂ ਕਰੇਗਾ। ਅੱਜ ਦੀ ਹਰਕਤ ਬਹੁਤ ਗੰਭੀਰ ਹੈ। ਜਾਂਚ ਤੋਂ ਕੋਈ ਵੀ ਇਨਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।”

ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਮਾਮਲਾ

ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਬੁਲਾਰੇ ਪਵਨ ਖੇੜਾ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਅਸੀਂ ਘਟਨਾਕ੍ਰਮ ਦਾ ਜਵਾਬ ਨਿਯਮਾਂ ਅਨੁਸਾਰ ਦੇਵਾਂਗੇ, ਪਰ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਆਉਣਾ ਕਿੱਥੋਂ ਤੱਕ ਸਹੀ ਹੈ? ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਨੂੰ ਖਤਮ ਹੋਏ ਅੱਜ 45 ਦਿਨ ਹੋ ਗਏ ਹਨ, ਉਹ ਅੱਜ ਪੁੱਛ ਰਹੇ ਹਨ। ਇਹ ਦਰਸਾਉਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਸਰਕਾਰ ਘਬਰਾ ਹੋਈ ਹੈ। ਹੁਣੇ ਮੈਨੂੰ ਅੰਦਰ ਜਾਣ ਤੋਂ ਰੋਕਿਆ ਗਿਆ। ਕਿਉਂ ਰੋਕਿਆ ਗਿਆ, ਇਹ ਸੜਕ ਹੈ, ਇੱਥੇ ਕੋਈ ਵੀ ਆ ਜਾ ਸਕਦਾ ਹੈ।”

ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ

ਇਸ ਦੇ ਨਾਲ ਹੀ ਕਾਂਗਰਸ ਦੇ ਕਮਿਊਨੀਕੇਸ਼ਨ ਇੰਚਾਰਜ ਜੈਰਾਮ ਰਮੇਸ਼ ਨੇ ਵੀ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਆਉਣ ਦੀ ਆਲੋਚਨਾ ਕੀਤੀ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ, “ਭਾਰਤ ਜੋੜੋ ਯਾਤਰਾ ਨੂੰ ਖਤਮ ਹੋਏ 45 ਦਿਨ ਹੋ ਗਏ ਹਨ। ਉਹ 45 ਦਿਨਾਂ ਬਾਅਦ ਸਵਾਲ ਪੁੱਛ ਰਹੇ ਹਨ। ਜੇਕਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਇੰਨੀਂ ਹੀ ਚਿੰਤਾ ਸੀ ਤਾਂ ਫਰਵਰੀ ‘ਚ ਹੀ ਉਨ੍ਹਾਂ (ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ) ਕੋਲ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂ ਗਏ? ਰਾਹੁਲ ਗਾਂਧੀ ਦੀ ਕਾਨੂੰਨੀ ਟੀਮ ਕਾਨੂੰਨ ਮੁਤਾਬਕ ਇਸ ਦਾ ਜਵਾਬ ਦੇਵੇਗੀ।”

INDIAinternational

People gathered in support of the Indian High Commission

Some Sikh organizations protested against the ongoing Punjab Police action against Amritpal Singh at the Indian High Commission in London on Sunday.

According to the Indian Ministry of External Affairs, the protesters entered the building and pulled down the Indian flag from the Indian High Commission building.

In opposition to this and in support of the High Commission, people of Indian origin gathered outside the High Commission.