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BIHARINDIA

रामनवमी पर बिहार में हुई हिंसा पर डीजीपी बोले- कोई नहीं बख़्शा जाएगा

नालंदा ज़िले के बिहार शरीफ़ में धारा 144 लगा दी गई है.

बिहार के सासाराम और बिहार शरीफ़ में रामनवमी के जुलूस के बाद हुई हिंसा को लेकर बिहार के पुलिस प्रमुख आरएस भट्टी ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस करके कहा है कि इस घटना में एक व्यक्ति की मौत हुई है और हालात नियंत्रण में है.

उन्होंने कहा कि हिंसा के आरोप में कुल 109 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है, उपद्रवियों की लगातार पहचान की जा रही है और किसी भी असामाजिक तत्व को बख़्शा नहीं जाएगा, क़ानून की पूरी ताक़त के साथ उनसे निपटा जाएगा.

डीजीपी ने कहा कि राज्य की अमन शांति को भंग करने का यह निश्चित तौर पर एक प्रयास था जिसको पुलिस और ज़िला प्रशासन ने विफल किया है और पुलिस को अलर्ट पर रखा गया है.

बीबीसी संवाददाता चंदन जजवाड़े ने बताया कि बिहार शरीफ़ में हिंसा रोकने के लिए इलाक़े में इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद कर दी गई है और लोगों से घरों में रहने की अपील की जा रही है

वहीं राज्य के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने हिंसा के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक की है. उन्होंने उच्च अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि अफ़वाह फैलाने वालों पर नज़र रखी जाए.

  • शोभायात्रा पर कथित पथराव के बाद भड़की हिंसा
  • पश्चिम बंगाल में हिंसा

रामनवमी के मौक़े पर बिहार में दो जगहों पर हुई हिंसा के बाद पुलिस प्रशासन अतिरिक्त सतर्कता बरत रहा है.

नालंदा में हिंसा फैलाने के आरोप में शनिवार रात तक़रीबन 80 लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई है. पुलिस का कहना है कि हालात तनवापूर्ण लेकिन नियंत्रण में हैं.

सासाराम में भी पुलिस ने 25 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया है और सुरक्षाबलों ने फ्लैग मार्च किया है.

पटना में बीबीसी संवाददाता चंदन कुमार जजवाड़े के मुताबिक, शनिवार की रात नालंदा ज़िले के बिहार शरीफ़ में कई जगहों पर गोलीबारी और हिंसा हुई है.

बीबीसी संवाददाता के मुताबिक, नालंदा के पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा ने कहा है कि अभी हालात नियंत्रण में हैं, रात में कई जगहों पर हिंसा की घटना हुई है. पुलिस ने उन जगहों पर पहुंचकर हालात को काब़ू किया है.

नालंदा

अशोक मिश्रा के मुताबिक़ अभी फिलहाल बिहार शरीफ़ में बीएसएफ़ की चार कंपनियां तैनात की गई हैं, जबकि पैरामिलिट्री की दो कंपनियां भी तैनात की गई हैं.

नालंदा के ज़िलाधिकारी शशांक शुभंकर के मुताबिक़ इस हिंसा में घायल एक व्यक्ति को इलाज के लिए पटना रेफ़र किया गया था जिसकी मौत हो गई है.

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इस बीच ज़िला प्रशासन ने शहर के सभी 51 वार्ड की बैठक भी बुलाई है ताकि शांति व्यवस्था बहाल की जा सके. नालंदा डीएम के मुताबिक़ बिहार शरीफ़ में फ़िलहाल हालात नियंत्रण में हैं.

रोहतास पुलिस

सासाराम में पलायन की ख़बर अफ़वाह- पुलिस

वहीं सासाराम में हिंसा के डर से लोगों के पलायन की ख़बर को पुलिस ने पूरी तरह से अफ़वाह बताया है.

पुलिस ने दावा किया है कि सासाराम में हालात पूरी तरह से काबू में हैं लोगों को अफ़वाह पर ध्यान नहीं देना चाहिए.

सासाराम में भी रामनवमी के मौक़े पर हिंसा और दो समुदायों के बीच पत्थरबाज़ी हुई थी.

यहां रविवार यानी 2 अप्रैल को गृह मंत्री अमित शाह की जनसभा होनी थी जिसे रद्द कर दिया गया.

बीजेपी ने आरोप लगाया है कि अमित शाह की रैली के डर से यहां धारा 144 लगाई गई है. वहीं, रोहतास के ज़िलाधिकारी ने बीबीसी को बताया था कि ज़िले में कहीं भी धारा 144 नहीं लगाई गई है.

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बीजेपी के मंत्री नित्यानंद राय ने गिरिराज सिंह का ट्वीट साझा करते हुए कहा कि सासाराम में प्रशासनिक अधिकारी माइक पर ऐलान कर रहे हैं जबकि बिहार सरकार कह रही है कि ऐसा नहीं है.

बिहार शरीफ़ में बाज़ार बंद.
इमेज कैप्शन,बिहार शरीफ़ में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ाई गई है.

सासाराम में हुई एक विस्फोट की घटना पर ज़िलाधिकारी धर्मेंद्र कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई को “रात 8-8:30 बजे सूचना मिली थी कि एक समुदाय के लोगों द्वारा एक समुदाय के धार्मिक स्थल पर विस्फोटक फेंका गया, जिसमें 6 लोग घायल हुए.”

“जांच में पता चला कि बगल के कमरे में रखे विस्फोटक को ग़लत तरह से रखा था. एफएसएल की टीम ने भी इसकी सत्यता की जांच की है. हमने फोर्स तैनात की है. लोग अफवाहों पर ध्यान न दें.”

रोहतास के एसपी विनीत कुमार ने बताया, “हमने अब तक करीब 32 लोगों को गिरफ़्तार किया है. हम टीम बनाकर छापेमारी कर रहे हैं.”

“हम वायरल वीडियो, सीसीटीवी फुटेज का सत्यापन करते हुए गिरफ़्तारियां कर रहे हैं. दंगाइयों के ख़िलाफ़ कठोर कार्रवाई करेंगे. संवेदनशील जगहों पर फोर्स तैनात की है. विश्वास बहाली के लिए फ्लैग मार्च किया जा रहा है.”

बिहार शरीफ़

कैसे शुरू हुई हिंसा

हिंसा के पीछे की वजहों को जानने के लिए पुलिस कमीश्नर और आईजी भी शहर के अलग अलग इलाक़ों में लगे सीसीटीवी फ़ुटेज को भी देखा है.

स्थानीय पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़ बिहार शरीफ़ में पिछले साल भी राम नवमी की शोभा यात्रा निकाली गई थी लेकिन कोई हिंसा नहीं हुई थी. यहां मुहर्रम में भी कोई हिंसा नहीं हुई थी.

लेकिन इस बार राम नवमी की शोभा यात्रा में भीड़ काफ़ी ज़्यादा थी. पुलिस अधीक्षक के मुताबिक़ इस यात्रा का आयोजन विश्व हिन्दू परिषद और बजरंग दल मिलकर करते हैं, इस बार की यात्रा में लोग ज़्यादा उत्तेजित नज़र आ रहे थे.

स्थानीय लोगों का कहना है कि बिहार शरीफ़ में पिछले क़रीब 4 दशकों से इस तरह की हिंसा नहीं हुई थी. इस बीच पुलिस और प्रशासन के लिए भी रविवार की रात ख़ास नज़र रखने की चुनौती होगी.

दरअसल यहां शुक्रवार और शनिवार को भी रात के समय में ही ज़्यादा हिंसा हुई है.

अमित शाह

अमित शाह ने नवादा की रैली में क्या कहा?

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दिनभर: पूरा दिन,पूरी ख़बर

समाप्त

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार दोपहर नवादा रैली में नीतीश कुमार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि ‘दुर्भाग्यपूर्ण घटना के कारण मैं सासाराम नहीं जा सका. वहां लोग मारे जा रहे हैं, गोलियां चल रही हैं. मैं अपने अगले दौरे में वहां ज़रूर जाऊंगा.’

उन्होंने रैली को संबोधित करते हुए कहा कि बिहार शरीफ़ और सासाराम में आग लगी हुई है, “मैंने सुबह गवर्नर साहब को फोन किया तो लल्लन सिंह जी बुरा मान गए कि आप क्यों बिहार की चिंता करते हो?”

उन्होंने कहा कि ‘दंगा मुक्त बिहार बनाना है तो यहां की चालीस की चालीस सीटें मोदी को दीजिए हम दंगाइयों को सज़ा देंगे.’

समाचार एजेंसी पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, बिहार सरकार के आग्रह के बाद अतिरिक्त अर्धसैनिक बल भेजे जाएंगे. माना जा रहा है कि गवर्नर ने अमित शाह को राज्य की स्थिति से अवगत कराया है.

सासाराम में ज़िला प्रशासन शुक्रवार दोपहर को हुई हिंसा के बाद निषेधाज्ञा लागू कर दी थी. गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को अपना सासाराम दौरा रद्द कर दिया था.

बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सम्राट चौधरी ने नीतीश कुमार सरकार को सासाराम का कार्यक्रम रद्द करने के लिए ज़िम्मेदार ठहराया.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा, “जब कोई केंद्रीय मंत्री आता है तो राज्य सरकार उसकी सुरक्षा का बंदोबस्त करती है. वे क्यों आ रहे थे और अब क्यों नहीं आ रहे हैं, इस बारे में हमें कुछ नहीं पता.”

गिरिराज सिंह

गिरिराज सिंह बोले- बंगाल की राह पर बिहार

केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने राज्य सरकार पर निशाना साधते हुए कि बिहार अब बंगाल के रास्ते पर चल पड़ा है. उन्होंने कहा कि जैसे बंगाल में हिंदुओं में डर का माहौल है, पलायन हो रहा है, वैसा ही अब बिहार में हो रहा है.

गिरिराज सिंह ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री को ये नहीं पता था कि राम नवमी के जुलूस पर पथराव करने की तैयारी पहले से की जा रही है तो वो किस बात के मुख्यमंत्री हैं, उन्हें इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.

केंद्रीय मंत्री ने कहा, “मुख्यमंत्री जी आप कह दें कि आप सिर्फ़ मुसलमानों के मुख्यमंत्री हैं, आप कह दें कि हिंदू नालंदा छोड़ दें. वहां आपको वोट देने वाले हिंदू भी हैं. सासाराम में रात में भी ब्लास्ट हुआ है. आख़िर पुलिस क्या कर रही है.”

नालंदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का गृह जनपद है.

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, गिरिराज सिंह ने कहा कि नीतीश कुमार की प्रशासन पर पकड़ नहीं है, इसलिए अगर वे नालंदा नहीं बचा पाए, वहां के हिंदुओं को नहीं बचा पाए तो क्या नालंदा के हिंदू सब छोड़कर भाग जाएं? उन्होंने कहा कि अगर रामनवमी नालंदा में न मने तो क्या पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया में मने?

नालंदा
इमेज कैप्शन,नालंदा में पुलिस की तैनाती बढ़ा दी गई है.

हिंसा फैलाने वालों पर कार्रवाई की मांग

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी ने एक वीडियो करते हुए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से हिंसा फैलाने वालों को जेल भेजने का आग्रह किया है. उन्होंने तेजस्वी यादव को टैग भी किया है.

इस वीडियो में नालंदा में हुए उपद्रव में घायल सुल्तान अंसारी का इंटरव्यू है जिसमें वो कह रहे हैं कि हिंसा कैसे फैली ये किसी को नहीं पता.

अंसारी के मुताबिक़, शहर की शांति कमेटी के वे वरिष्ठ सदस्य हैं और हिंसा को रोकने की भरसक कोशिश की गई लेकिन शांति कमेटी के सदस्यों की बुरी तरह पिटाई की गई और उनकी जान जाते जाते बची है.

INDIAPUNJABSIKH SANGAT

खालिस्तान की मांग कितनी पुरानी है और कितनी बार और किस रूप में उठाई जाती रही है !

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

”ਮੈਂ ਆਪਣੇ ਆਪ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਨਹੀਂ ਮੰਨਦਾ। ਮੇਰੇ ਕੋਲ ਮੌਜੂਦ ਪਾਸਪੋਰਟ ਮੈਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਨਹੀਂ ਬਣਾ ਦਿੰਦਾ, ਇਹ ਮਹਿਜ਼ ਇੱਕ ਯਾਤਰਾ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਹੈ।”

ਇਨ੍ਹਾਂ ਸ਼ਬਦਾਂ ਦਾ ਪ੍ਰਗਟਾਵਾ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਮਰਹੂਮ ਦੀਪ ਸਿੱਧੂ ਵੱਲੋਂ ਬਣਾਈ ਗਈ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਅਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇ ਹਮਾਇਤੀ ਹਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਪੁਰਜ਼ੋਰ ਤਰੀਕੇ ਨਾਲ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਚੁੱਕਣ ਦੇ ਚਲਦਿਆਂ ਵਿਵਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਰਹੇ ਹਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਹੁਣ ਕਈ ਕੇਸ ਦਰਜ ਹਨ ਤੇ ਫ਼ਿਲਹਾਲ ਫਰਾਰ ਹਨ।

ਪਰ ਇੱਥੇ ਕੁਝ ਸਵਾਲ ਸਹਿਜ ਹੀ ਦਿਮਾਗ਼ ਵਿੱਚ ਆ ਜਾਂਦੇ ਹਨ ਕਿ ਆਖ਼ਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਹੈ ਕੀ ਅਤੇ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਇਸ ਦੀ ਮੰਗ ਕਦੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ।

ਅਜਿਹੇ ਹੀ ਕੁਝ ਸਵਾਲਾਂ ਦੇ ਜਵਾਬ ਤੁਹਾਨੂੰ ਇਸ ਲੇਖ ਵਿੱਚ ਦੇਣ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਰਹੇ ਹਾਂ।

ਖਾਲਿਸਤਾਨ

ਜਦੋਂ ਵੀ ਸਿੱਖਾਂ ਦੀ ਖੁਦਮੁਖ਼ਤਾਰੀ ਜਾਂ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਉੱਠਦੀ ਹੈ, ਤਾਂ ਸਾਰਿਆਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਭੂਗੋਲਿਕ ਪੱਖੋਂ ਭਾਰਤੀ ਪੰਜਾਬ ਵੱਲ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਧਰਮ ਦੇ ਮੋਢੀ ਗੁਰੂ ਨਾਨਕ ਦੇਵ ਜੀ ਦਾ ਜਨਮ ਸਥਾਨ ਨਨਕਾਣਾ ਸਾਹਿਬ ਅੱਜ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਵਿੱਚ ਸਥਿਤ ਹੈ। ਇਹ ਅਣਵੰਡੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਹਿੱਸਾ ਸੀ ਇਸ ਲਈ ਇਹ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਖੇਤਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ।

ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ 1995 ਵਿੱਚ ਸਿੱਖਾਂ ਦਾ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੰਘਰਸ਼ ਖਤਮ ਹੋ ਗਿਆ ਸੀ। ਬੀਤੇ ਸਮੇਂ ਵਿੱਚ ਸੰਗਰੂਰ ਤੋਂ ਮੈਂਬਰ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਅਮ੍ਰਿਤਸਰ ਦੇ ਮੁਖੀ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਨੇ ਕਈ ਵਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕੀਤੀ ਹੈ।

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਇਸ ਉਦੇਸ਼ ਲਈ ਲੋਕਤੰਤਰਿਕ ਤੇ ਸ਼ਾਂਤਮਈ ਤਰੀਕੇ ਅਪਣਾਉਣ ਦੀ ਵਕਾਲਤ ਕਰਦੇ ਹਨ।

ਅਮਰੀਕਾ ਦੀ ਜਥੇਬੰਦੀ ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਵੀ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ। ਹਾਲਾਂਕਿ ਅਜਿਹੀਆਂ ਜਥੇਬੰਦੀਆਂ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤ ਸੀਮਿਤ ਅਧਾਰ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦਲ ਖ਼ਾਲਸਾ ਵਲੋਂ ਵੀ ਲਗਾਤਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਹੁੰਦੀ ਰਹੀ ਹੈ।

ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਕਦੋਂ ਉੱਠੀ ਸੀ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ?

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦਾ ਸਭ ਤੋਂ ਵੱਧ ਜ਼ਿਕਰ 1940 ਵਿੱਚ ਹੋਣਾ ਸ਼ੁਰੂ ਹੋਇਆ ਸੀ, ਜਦੋਂ ਡਾ. ਵੀਰ ਸਿੰਘ ਭੱਟੀ ਨੇ ਇੱਕ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਾ ਜ਼ਿਕਰ ਕੀਤਾ ਸੀ। ਇਸ ਇਸ਼ਤਿਹਾਰ ਮੁਸਲਿਮ ਲੀਗ ਦੇ ਲਾਹੌਰ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਦਾ ਜਵਾਬ ਸੀ।

ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਭਾਸ਼ਾ ਦੇ ਆਧਾਰ ਉੱਤੇ 1966 ਵਿੱਚ ਕੀਤੀ ਗਈ ‘ਰਿ-ਆਰਗੇਨਾਈਜ਼ੇਸ਼ਨ’ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ 60ਵਿਆਂ ਦੇ ਅੱਧ ‘ਚ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਅਕਾਲੀ ਆਗੂਆਂ ਨੇ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਖਿੱਤੇ ਦਾ ਮੁੱਦਾ ਚੁੱਕਿਆ ਸੀ।

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਪਹਿਲੀ ਮੰਗ ਕੁਝ ਸਿੱਖ ਆਗੂਆਂ ਜਿਵੇਂ ਇੰਗਲੈਂਡ ਤੋਂ ਚਰਨ ਸਿੰਘ ਪੰਛੀ ਤੇ ਫ਼ਿਰ 70ਵਿਆਂ ਦੇ ਸ਼ੁਰੂ ਵਿੱਚ ਡਾਕਟਰ ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਚੌਹਾਨ ਨੇ ਕੀਤੀ ਸੀ।

ਡਾ. ਜਗਜੀਤ ਸਿੰਘ ਚੌਹਾਨ 1970ਵੇ ਦੇ ਦਹਾਕੇ ਵਿੱਚ ਬਰਤਾਨੀਆ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਬੇਸ ਬਣਾ ਕੇ ਅਮਰੀਕਾ ਅਤੇ ਪਾਕਿਸਤਾਨ ਦਾ ਦੌਰਾ ਵੀ ਕਰਦੇ ਰਹੇ ਸਨ।

ਕੁਝ ਨੌਜਵਾਨ ਸਿੱਖਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਤੇ ਹੋਰ ਸਿਆਸੀ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਲਈ 1978 ਵਿੱਚ ਚੰਡੀਗੜ੍ਹ ਵਿੱਚ ਦਲ ਖ਼ਾਲਸਾ ਦੀ ਸਥਾਪਨਾ ਕੀਤੀ ਸੀ।

ਵੀਡੀਓ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀਆਂ, ਮਤਭੇਦਾਂ ਅਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਬਾਰੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦਾ ਜਵਾਬ

ਕੀ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲੇ ਨੇ ਕਦੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਚੁੱਕੀ ਸੀ ?

ਸਿੱਖ ਖਾੜਕੂਆਂ ਦੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਦਾ ਪਹਿਲਾ ਗੇੜ ਸਾਲ 1984 ਵਿੱਚ ਸ੍ਰੀ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਬਲਿਊ ਸਟਾਰ ਤਹਿਤ ਫ਼ੌਜੀ ਹਮਲੇ ਨਾਲ ਖ਼ਤਮ ਹੋਇਆ। ਇਸ ਨੂੰ ‘ਆਪ੍ਰੇਸ਼ਨ ਬਲੂ ਸਟਾਰ’ ਕਿਹਾ ਗਿਆ।

ਹਾਲਾਂਕਿ ਇਸ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੰਘਰਸ਼ ਦੀ ਅਗਵਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸੰਤ ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲੇ ਦੀ ਇਸ ਸੰਘਰਸ਼ ਵਿੱਚ ਮੌਤ ਹੋ ਗਈ ਸੀ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇੇ ਕਦੇ ਵੀ ਸਪੱਸ਼ਟ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਕਦੇ ਇਸ ਦੀ ਮੰਗ ਨਹੀਂ ਸੀ ਕੀਤੀ।

ਹਾਂ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਇੱਕ ਨਾਅਰਾ ਜ਼ਰੂਰ ਬਣਾਇਆ ਸੀ- ‘ਸ੍ਰੀ ਦਰਬਾਰ ਸਾਹਿਬ ‘ਤੇ ਫ਼ੌਜੀ ਹਮਲਾ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਨੀਂਹ ਰੱਖੇਗਾ।’

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਵਰਕਿੰਗ ਕਮੇਟੀ ਵੱਲੋਂ ਅਪਣਾਏ ਗਏ ਸ੍ਰੀ ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ 1973 ਦੇ ਮਤੇ ਨੂੰ ਲਾਗੂ ਕਰਵਾਉਣ ਲਈ ਦਬਾਅ ਪਾਇਆ ਸੀ।

ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲਾ
BBC

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਮਾਮਲੇ ਵਿੱਚ ਹੁਣ ਤੱਕ ਕੀ-ਕੀ ਹੋਇਆ

  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਤੇ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਕਾਰਕੁਨਾਂ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ 18 ਮਾਰਚ ਤੋਂ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ
  • ਪੁਲਿਸ ਮੁਤਾਬਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਫ਼ਰਾਰ ਹੈ ਪਰ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ 150 ਤੋਂ ਵੱਧ ਕਾਰਕੁਨ ਹਿਰਾਸਤ ਵਿੱਚ ਹਨ
  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਪਿਤਾ ਦਾ ਇਲਜ਼ਾਮ ਹੈ ਕਿ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕੀਤਾ ਹੋਇਆ ਹੈ
  • ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਵਕੀਲ ਨੇ ਹਾਈਕੋਰਟ ਵਿੱਚ ਬੰਦੀ ਨੂੰ ਪੇਸ਼ ਕਰਵਾਉਣ ਲ਼ਈ ਪਟੀਸ਼ਨ ਦੀ ਸੁਣਵਾਈ ਦੌਰਾਨ ਕੋਰਟ ਨੇ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸਵਾਲ ਕੀਤਾ ਕਿ ਇੰਨੀ ਵੱਡੀ ਪੁਲਿਸ ਨਫ਼ਰੀ ਵਿੱਚ ਉਹ ਕਿਵੇਂ ਬਚ ਗਿਆ
  • ਪੁਲਿਸ ਮੁਤਾਬਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੂੰ ਆਖ਼ਰੀ ਵਾਰ ਇੱਕ ਵੀਡੀਓ ਫ਼ੁਟੇਜ਼ ਵਿੱਚ ਸ਼ਾਹਬਾਦ ’ਚ ਦੇਖਿਆ ਗਿਆ
  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ 7 ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਦਿਬੜੂਗੜ੍ਹ ਅਸਾਮ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ਹੈ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਉੱਤੇ NSA ਲੱਗਿਆ ਹੈ
  • ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭਾਰੀ ਪੁਲਿਸ ਫੋਰਸ ਤੈਨਾਤ ਹੈ ਅਤੇ ਨਾਕੇਬੰਦੀ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ ਤੇ ਫ਼ਲੈਗ ਮਾਰਚ ਹੋ ਰਹੇ ਹਨ
  • ਪੰਜਾਬ ਸਣੇ ਇੰਗਲੈਂਡ, ਅਮਰੀਕਾ ਵਰਗੀਆਂ ਥਾਵਾਂ ਉੱਤੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਹੱਕ ਵਿੱਚ ਮੁਜ਼ਾਹਰੇ ਵੀ ਹੋਏ ਹਨ
BBC
ਖਾਲਿਸਤਾਨ

ਆਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ ਕੀ ਹੈ ?

ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰੀ ਬਾਰੇ 1973 ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮਤੇ ਵਿੱਚ ਸਿਆਸੀ ਟੀਚੇ ਕੁਝ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੱਸੇ ਗਏ ਹਨੈ, “ਪੰਥ (ਸਿੱਖ ਧਰਮ) ਦਾ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਟੀਚਾ, ਬਿਨਾਂ ਸ਼ੱਕ, ਸਿੱਖ ਇਤਿਹਾਸ ਦੇ ਪੰਨਿਆਂ ’ਚ, ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦੇ ਹਿਰਦੇ ਵਿੱਚ, ਦਸਵੇਂ ਪਾਤਸ਼ਾਹ ਦੇ ਹੁਕਮਾਂ ਵਿੱਚ ਅੰਕਿਤ ਹੈ, ਜਿਸ ਦਾ ਅੰਤਮ ਉਦੇਸ਼ ਖਾਲਸੇ ਦਾ ਬੋਲ-ਬਾਲਾ ਹੈ।”

“ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਬੁਨਿਆਦੀ ਨੀਤੀ ਇੱਕ ਭੂ-ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਮਾਹੌਲ ਅਤੇ ਇੱਕ ਰਾਜਨੀਤਿਕ ਸਥਾਪਨਾ ਦੁਆਰਾ ਖਾਲਸੇ ਦੇ ਇਸ ਜਨਮ ਦੇ ਅਧਿਕਾਰ ਨੂੰ ਪ੍ਰਾਪਤ ਕਰਨਾ ਹੈ।”

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਭਾਰਤ ਦੇ ਸੰਵਿਧਾਨ ਅਤੇ ਸਿਆਸੀ ਢਾਂਚੇ ਦੇ ਹਿਸਾਬ ਨਾਲ ਕੰਮ ਕਰਦਾ ਹੈ।

ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਮਤੇ ਦਾ ਮਕਸਦ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਹੀ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਸੂਬਾ ਬਣਾਉਣਾ ਸੀ। ਇਸ ਮਤੇ ਵਿੱਚ ਵੱਖਰੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਮੰਗ ਨਹੀਂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ।

ਇਸ ਮਤੇ ਨੂੰ 1977 ਵਿੱਚ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਵੱਲੋਂ ਆਪਣੀ ਜਨਰਲ ਹਾਊਸ ਮੀਟਿੰਗ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਨੀਤੀ ਪ੍ਰੋਗਰਾਮ ਤਹਿਤ ਅਪਣਾਇਆ ਗਿਆ ਸੀ। ਅਗਲੇ ਹੀ ਸਾਲ ਅਕਤੂਬਰ 1978 ਵਿੱਚ ਲੁਧਿਆਣਾ ਕਾਨਫਰੰਸ ਦੌਰਾਨ ਪਾਸਾ ਵੱਟ ਲਿਆ ਗਿਆ।

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ ਇਸ ਕਾਨਫਰੰਸ ਵਿੱਚ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰੀ ਬਾਰੇ ਮਤੇ ਨੰਬਰ ਇੱਕ ਨੂੰ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਤਤਕਾਲੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੋਹੜਾ ਨੇ ਪੇਸ਼ ਕੀਤਾ ਸੀ ਤੇ ਤਤਕਾਲੀ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਇਸ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਸੀ।

ਇਹ ਮਤਾ ਨੰਬਰ ਇੱਕ ਹੀ ਸੀ ਜਿਸ ਨੂੰ ਅਨੰਦਪੁਰ ਮਤੇ ਦਾ 1978 ਵਾਲੇ ਰੂਪ ਵਜੋਂ ਜਾਣਿਆ ਜਾਣ ਲੱਗਿਆ।

ਖਾਲਿਸਤਾਨ

1978 ਵਾਲਾ ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ

1978 ਵਾਲਾ ਅਨੰਦਪੁਰ ਸਾਹਿਬ ਦਾ ਮਤਾ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਹੈ: “ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਨੂੰ ਅਹਿਸਾਸ ਹੈ ਕਿ ਭਾਰਤ ਇੱਕ ਸੰਘੀ ਅਤੇ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਭਸ਼ਾਵਾਂ, ਧਰਮਾਂ ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਾਂ ਦੀ ਇਕਾਈ ਹੈ।”

“ਧਰਮ ਅਤੇ ਭਾਸ਼ਾ ਪੱਖੋਂ ਘੱਟ ਗਿਣਤੀਆਂ ਦੇ ਬੁਨਿਆਦੀ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਦੀ ਰੱਖਿਆ ਲਈ, ਲੋਕਤੰਤਰਿਕ ਪਰੰਪਰਾਵਾਂ ਦੀਆਂ ਮੰਗਾਂ ਦੀ ਪੂਰਤੀ ਕਰਨ ਅਤੇ ਆਰਥਿਕ ਤਰੱਕੀ ਨੂੰ ਪੱਕਾ ਕਰਨ ਲਈ ਇਹ ਜ਼ਰੂਰੀ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਸੰਵਿਧਾਨਿਕ ਸਰੰਚਨਾ ਨੂੰ ਕੇਂਦਰ ਅਤੇ ਸੂਬਿਆਂ ਦੇ ਸੰਬੰਧਾਂ ਅਤੇ ਅਧਿਕਾਰਾਂ ਨੂੰ ਮੁੜ ਪਰਿਭਾਸ਼ਤ ਕਰਕੇ ਉੱਪਰ ਲਿਖੇ ਸਿਧਾਂਤਾਂ ਅਤੇ ਉਦੇਸ਼ਾਂ ਦੇ ਆਧਾਰ ‘ਤੇ ਸੰਘੀ ਢਾਂਚਾ ਹੋਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਹੈ।”

ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਕਦੋਂ ਚੁੱਕੀ ਗਈ ਸੀ ?

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ 29 ਅਪ੍ਰੈਲ 1986 ਨੂੰ ਖਾੜਕੂ ਸੰਗਠਨਾਂ ਦੇ ਸਾਂਝੇ ਮੋਰਚੇ ਪੰਥਕ ਕਮੇਟੀ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਗਈ।

ਇਸ ਦਾ ਰਾਜਸੀ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਇੰਝ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ: “ਪਵਿੱਤਰ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਤੋਂ ਅੱਜ ਦੇ ਖ਼ਾਸ ਦਿਹਾੜੇ ‘ਤੇ ਅਸੀਂ ਸਾਰੇ ਮੁਲਕਾਂ, ਸਰਕਾਰਾਂ ਸਾਹਮਣੇ ਐਲਾਨ ਕਰਦੇ ਹੋਏ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਦੱਸ ਰਹੇ ਹਾਂ ਕਿ ਅੱਜ ਤੋਂ ਖ਼ਾਲਸਾ ਪੰਥ ਦਾ ‘ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ’ ਅਲੱਗ ਘਰ ਹੋਵੇਗਾ, ਜਿੱਥੇ ਸਾਰੇ ਖਾਲਸੇ ਦੇ ਆਸ਼ੇ ਮੁਤਾਬਕ ਚੜ੍ਹਦੀ ਕਲਾ ਵਿੱਚ ਰਹਿਣਗੇ।”

“ਅਜਿਹੇ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਸਰਕਾਰੀ ਪ੍ਰਬੰਧ ਚਲਾਉਣ ਲਈ ਉੱਚੇ ਅਹੁਦਿਆਂ ਦੀ ਜ਼ਿੰਮੇਵਾਰੀ ਦਿੱਤੀ ਜਾਵੇਗੀ, ਜਿਹੜੇ ਸਰਬਤ ਦੇ ਭਲੇ ਲਈ ਕੰਮ ਕਰਣਗੇ ਅਤੇ ਆਪਣੇ ਖ਼ੂਨ-ਪਸੀਨੇ ਦੀ ਕਮਾਈ ਨਾਲ ਗੁਜ਼ਾਰਾ ਕਰਦੇ ਹੋਣਗੇ।”

ਭਾਰਤੀ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਸਾਬਕਾ ਆਈਪੀਐੱਸ ਅਫ਼ਸਰ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਨੇ ਸਾਲ 1989 ਵਿੱਚ ਜੇਲ੍ਹ ‘ਚੋਂ ਰਿਹਾਅ ਹੋਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਇਸ ਮੁੱਦੇ ਨੂੰ ਚੁੱਕਿਆ ਸੀ। ਪਰ ਉਹ ਵਾਰ-ਵਾਰ ਆਪਣਾ ਰੁਖ਼ ਬਦਲਦੇ ਰਹੇ।

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਹੁਣ ਸੰਗਰੂਰ ਤੋਂ ਮੈਂਬਰ ਪਾਰਲੀਮੈਂਟ ਹਨ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਦੇਸ਼ ਦੀ ਏਕਤਾ ਤੇ ਅਖੰਡਤਾ ਨੂੰ ਕਾਇਮ ਰੱਖਣ ਦੀ ਸਹੁੰ ਚੁੱਕੀ ਹੈ।

ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦਾ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਬਾਰੇ ਕੀ ਰੁਖ਼ ?

ਸਾਲ 1992 ਵਿੱਚ ਇਹ ਮੁੱਦਾ ਰਸਮੀ ਤੌਰ ‘ਤੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੇ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਆਗੂਆਂ ਵੱਲੋਂ ਚੁੱਕਿਆ ਗਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਸਬੰਧੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ 22 ਅਪ੍ਰੈਲ, 1992 ਨੂੰ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਜਨਰਲ ਸਕੱਤਰ ਨੂੰ ਇੱਕ ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਵੀ ਸੌਂਪਿਆ ਸੀ।

ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਦਾ ਆਖ਼ਰੀ ਪੈਰ੍ਹਾ ਇਸ ਪ੍ਰਕਾਰ ਸੀ, “ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਆਰਥਿਕ, ਸਮਾਜਕ ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਹੱਕਾਂ ਦੀ ਰਾਖੀ ਅਤੇ ਆਜ਼ਾਦੀ ਦੀ ਬਹਾਲੀ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਫ਼ੌਜ ਦੇ ਘੇਰੇ ‘ਚੋਂ ਕੱਢਣਾ ਅਤੇ ਗ਼ੈਰ-ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਬਣਾਉਣਾ ਅਹਿਮ ਕਦਮ ਹੈ। ਦੁਨੀਆਂ ਦੀਆਂ ਸਾਰੀਆਂ ਆਜ਼ਾਦ ਕੌਮਾਂ ਵਾਂਗ ਸਿੱਖ ਕੌਮ ਵੀ ਹੈ।”

“ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦੀ ਨਾਲ ਰਹਿਣ ਦੇ ਹੱਕ ਸਬੰਧੀ ਸੰਯੁਕਤ ਰਾਸ਼ਟਰ ਦੇ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਮੁਤਾਬਕ ਸਿੱਖਾਂ ਨੂੰ ਵੀ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਆਜ਼ਾਦ ਹਸਤੀ ਬਹਾਲ ਕਰਨ ਲਈ ਵਿਤਕਰੇ, ਬਸਤੀਵਾਦੀ ਅਤੇ ਗ਼ੁਲਾਮੀ ਅਤੇ ਰਾਜਸੀ ਵਿਰੋਧੀ ਬੰਧਨਾਂ ‘ਚੋਂ ਮੁਕਤੀ ਚਾਹੀਦੀ ਹੈ।”

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਦੀ ਇੱਕ ਪੁਰਾਣੀ ਤਸਵੀਰ

ਮੈਮੋਰੰਡਮ ਦੇਣ ਵੇਲੇ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਸਣੇ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਅਤੇ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਸ਼ਾਮਲ ਸਨ।

ਇਸ ਮੈਮੋਰੈਂਡਮ ‘ਤੇ ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਤਤਕਾਲੀ ਐੱਸਜੀਪੀਸੀ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਨੇ ਦਸਤਖ਼ਤ ਕੀਤੇ ਸਨ। ਇਸ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਅਤੇ ਗੁਰਚਰਨ ਸਿੰਘ ਟੌਹੜਾ ਵੱਲੋਂ ਇਸ ਬਾਰੇ ਕਦੇ ਜ਼ਿਕਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ।

ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਫ਼ਰਵਰੀ 1996 ਨੂੰ ਮੋਗਾ ਵਿੱਚ ਕਰਵਾਈ ਗਈ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦੀ 75ਵੀਂ ਵਰ੍ਹੇਗੰਢ ‘ਤੇ ਇਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀਅਤ ਵਿੱਚ ਤਬਦੀਲ ਕਰ ਦਿੱਤਾ। ਇਸ ਪ੍ਰਭਾਵ ਲਈ ਕੋਈ ਰਸਮੀ ਮਤਾ ਨਹੀਂ ਸੀ।

ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਐਲਾਨਨਾਮਾ-ਅਮਰਿੰਦਰ ਤੇ ਬਰਨਾਲਾ ਦਾ ਰੁਖ਼ ਕੀ ਸੀ ?

ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ ਦੇ ਅਕਾਲੀ ਦਲ (ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ) ਨੇ 1994 ਵਿੱਚ ਰਾਜਸੀ ਨਿਸ਼ਾਨੇ ਮੁੜ ਸਥਾਪਿਤ ਕੀਤੇ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਨੇ ਵੀ ਹਸਤਾਖ਼ਰ ਕੀਤੇ ਸਨ। ਪ੍ਰਕਾਸ਼ ਸਿੰਘ ਬਾਦਲ ਨੇ ਇਸ ਉੱਤੇ ਹਸਤਾਖ਼ਰ ਨਹੀਂ ਸਨ।

ਇਹ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਅੰਮ੍ਰਿਤਸਰ ਐਲਾਨਨਾਮੇ ਵਜੋਂ ਵੀ ਜਾਣਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਜਿਸ ‘ਤੇ ਪਹਿਲੀ ਮਈ, 1994 ਨੂੰ ਸ੍ਰੀ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਸਾਹਿਬ ਦੀ ਸਰਪ੍ਰਸਤੀ ਹੇਠ ਦਸਤਖ਼ਤ ਕੀਤੇ ਗਏ ਸੀ।

ਇਸ ਦਸਤਾਵੇਜ਼ ਮੁਤਾਬਕ, “ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਦਾ ਮੰਨਣਾ ਹੈ ਕਿ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨ (ਇੰਡੀਆ) ਵੱਖ-ਵੱਖ ਰਾਸ਼ਟਰੀ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀਆਂ ਦਾ ਉੱਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਹੈ, ਹਰੇਕ ਆਪਣੀ ਵਿਰਾਸਤ ਅਤੇ ਮੁੱਖ ਧਾਰਾ ਦੇ ਨਾਲ ਹੈ।”

“ਇਸ ਉੱਪ ਮਹਾਂਦੀਪ ਨੂੰ ਮਹਾਂਸੰਘੀ ਸਰੰਚਨਾ ਦੇ ਨਾਲ ਪੁਨਰਗਠਿਤ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ਤਾਂ ਜੋ ਹਰੇਕ ਸੰਸਕ੍ਰਿਤੀ ਆਪਣੀ ਪ੍ਰਤਿਭਾ ਅਨੁਸਾਰ ਖਿੜ੍ਹ ਸਕੇ ਅਤੇ ਵਿਸ਼ਵ ਦੇ ਬਗ਼ੀਚੇ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਵੱਖਰੀ ਖੁਸ਼ਬੂ ਛੱਡੀ ਜਾ ਸਕੇ।”

ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸਾਬਕਾ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ

“ਜੇਕਰ ਅਜਿਹੇ ਇੱਕ ਸੰਗਠਨਾਤਮਕ ਪੁਨਰਗਠਨ ਨੂੰ ਭਾਰਤੀ ਹਿੰਦੁਸਤਾਨੀ (ਭਾਰਤੀ) ਸ਼ਾਸਕਾਂ (ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ) ਵੱਲੋਂ ਸਵੀਕਾਰ ਨਹੀਂ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸ਼੍ਰੋਮਣੀ ਅਕਾਲੀ ਦਲ ਕੋਲ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਅਤੇ ਸੰਘਰਸ਼ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਕੋਈ ਹੋਰ ਬਦਲ ਨਹੀਂ ਹੈ।”

ਇਸ ‘ਤੇ ਕੈਪਟਨ ਅਮਰਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਜਗਦੇਵ ਸਿੰਘ ਤਲਵੰਡੀ, ਸਿਮਰਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਮਾਨ, ਕਰਨਲ ਜਸਮੇਰ ਸਿੰਘ ਬਾਲਾ, ਭਾਈ ਮਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਸੁਰਜੀਤ ਸਿੰਘ ਬਰਨਾਲਾ ਦੇ ਦਸਤਖ਼ਤ ਸਨ।

ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਹੁਣ ਕਿੱਥੇ-ਕਿੱਥੇ ਉੱਠ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਆਵਾਜ਼ਾਂ ?

ਹੁਣ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਅਮਰੀਕਾ, ਕੈਨੇਡਾ ਅਤੇ ਯੂਕੇ ਵਰਗੇ ਦੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸੇ ਕਈ ਸਿੱਖਾਂ ਵੱਲੋਂ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸੇ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਜਿਹੜੇ ਧੜੇ ਇਸ ਮੁੱਦੇ ਦਾ ਰਾਗ ਲਗਾਤਾਰ ਅਲਾਪ ਰਹੇ ਹਨ ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਬਹੁਤੀ ਹਮਾਇਤ ਪ੍ਰਾਪਤ ਨਹੀਂ ਹੈ।

ਅਜਿਹੇ ਬਹੁਤ ਸਾਰੇ ਲੁਕਵੇਂ ਸੰਕੇਤ ਮਿਲਦੇ ਹਨ ਕਿ ਕੈਨੇਡੀਅਨ ਸਿਆਸਤਦਾਨਾਂ ਨੇ ਚਾਹੇ ਇਸ ਵਿਚਾਰ ਦਾ ਸਮਰਥਨ ਕੀਤਾ ਹੈ, ਹਾਲਾਂਕਿ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇਸ ਦਾ ਕੋਈ ਹਮਾਇਤੀ ਨਹੀਂ ਹੈ।

ਸਿੱਖ ਫਾਰ ਜਸਟਿਸ

ਅਮਰੀਕਾ ਤੋਂ ਕੰਮ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨਾਮ ਦੇ ਇਸ ਸਮੂਹ ‘ਤੇ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ 10 ਜੁਲਾਈ, 2019 ਨੂੰ ਵੱਖਵਾਦੀ ਏਜੰਡੇ ਤਹਿਤ ਕੰਮ ਕਰਨ ਕਰਕੇ ਪਾਬੰਦੀ ਲਗਾ ਦਿੱਤੀ ਸੀ।

ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਯੂਏਪੀਏ ਤਹਿਤ ਇਸ ਸਮੂਹ ‘ਤੇ ਪਾਬੰਦੀ ਦਾ ਐਲਾਨ ਕੀਤਾ ਸੀ।

ਇਸ ਤੋਂ ਇੱਕ ਸਾਲ ਬਾਅਦ 2020 ‘ਚ ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨੀ ਸਮੂਹਾਂ ਨਾਲ ਜੁੜੇ 9 ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅੱਤਵਾਦੀ ਐਲਾਨਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਤਕਰੀਬਨ 40 ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਪੱਖੀ ਵੈੱਬਸਾਈਟਾਂ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰ ਦਿੱਤਾ ਸੀ।

ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨੇ ਕੈਨੇਡਾ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਹੋਰ ਵੀ ਕਈ ਥਾਵਾਂ ‘ਤੇ ‘ਰਾਇਸ਼ਮੁਾਰੀ’ ਕਰਵਾਉਣ ਦੀਆਂ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ਾਂ ਕੀਤੀਆਂ ਸਨ।

ਇਸ ਸਮੂਹ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਹੈ ਕਿ ਉਸ ਦਾ ਉਦੇਸ਼ ਭਾਰਤ ਅੰਦਰ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਇੱਕ ਖ਼ੁਦਮੁਖ਼ਤਿਆਰ ਮੁਲਕ ਦੀ ਹੋਂਦ ਕਾਇਮ ਕਰਨਾ ਹੈ। ਜਿਸ ਲਈ ਉਹ ਸਿੱਖ ਭਾਈਚਾਰੇ ਦੇ ਲੋਕਾਂ ਤੋਂ ਸਮਰਥਨ ਹਾਸਲ ਕਰਨ ਦੀ ਕੋਸ਼ਿਸ਼ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਰੈਫਰੈਂਡਮ

ਸਿੱਖ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਕੀ ਹੈ ?

ਸਿੱਖਸ ਫ਼ਾਰ ਜਸਟਿਸ ਨਾਮਕ ਗਰੁੱਪ ਸਾਲ 2007 ‘ਚ ਅਮਰੀਕਾ ਵਿਖੇ ਬਣਿਆ ਸੀ। ਇਸ ਦਾ ਪ੍ਰਮੁੱਖ ਚਿਹਰਾ ਗੁਰਪਤਵੰਤ ਸਿੰਘ ਪੰਨੂ ਹੈ, ਜੋ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਯੂਨੀਵਰਸਿਟੀ ਤੋਂ ਕਾਨੂੰਨ ਦੀ ਪੜ੍ਹਾਈ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਅਮਰੀਕਾ ‘ਚ ਵਕਾਲਤ ਕਰ ਰਹੇ ਹਨ।

ਉਹ ਗਰੁੱਪ ਦੇ ਕਾਨੂੰਨੀ ਸਲਾਹਕਾਰ ਵੀ ਹਨ। ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇ ਸਮਰਥਨ ‘ਚ ‘ਰੈਫਰੈਂਡਮ 2020’ ਕਰਵਾਉਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ।

ਇਸ ਸੰਗਠਨ ਨੇ ਕੈਨੇਡਾ ਅਤੇ ਕਈ ਹੋਰ ਹਿੱਸਿਆਂ ਵਿੱਚ ਰਾਇਸ਼ੁਮਾਰੀ ਕਰਵਾਈ ਪਰ ਕੌਮਾਂਤਰੀ ਸਿਆਸਤ ਵਿੱਚ ਇਸ ਨੂੰ ਕੋਈ ਖ਼ਾਸ ਤਰਜੀਹ ਨਹੀਂ ਮਿਲੀ।

ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਦੇ ਜਥੇਦਾਰ ਦਾ ਇਸ ਬਾਰੇ ਰੁਖ਼

ਸਾਲ 2020 ਵਿੱਚ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਬਲੂ ਸਟਾਰ ਦੀ ਬਰਸੀ ਮੌਕੇ ਅਕਾਲ ਤਖ਼ਤ ਦੇ ਜਥੇਦਾਰ ਗਿਆਨੀ ਹਰਪ੍ਰੀਤ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਸੀ ਕਿ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੀ ਮੰਗ ਜਾਇਜ਼ ਹੈ।

ਉਨ੍ਹਾਂ ਨੇ ਪੱਤਰਕਾਰਾਂ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਦੌਰਾਨ ਕਿਹਾ ਸੀ, ”ਸਿੱਖ ਇਸ ਘੱਲੂਘਾਰੇ ਨੂੰ ਯਾਦ ਰੱਖਦੇ ਹਨ। ਅੰਨ੍ਹਾ ਕੀ ਭਾਲੇ ਦੋ ਅੱਖਾਂ, ਦੁਨੀਆਂ ਦਾ ਕਿਹੜਾ ਸਿੱਖ ਹੈ ਜੋ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਨਹੀਂ ਚਾਹੁੰਦਾ। ਭਾਰਤ ਸਰਕਾਰ ਖ਼ਾਲਿਸਤਾਨ ਦੇਵੇਗੀ ਤਾਂ ਲੈ ਲਵਾਂਗੇ।”

INDIAinternational

People gathered in support of the Indian High Commission

Some Sikh organizations protested against the ongoing Punjab Police action against Amritpal Singh at the Indian High Commission in London on Sunday.

According to the Indian Ministry of External Affairs, the protesters entered the building and pulled down the Indian flag from the Indian High Commission building.

In opposition to this and in support of the High Commission, people of Indian origin gathered outside the High Commission.

PUNJABSIKH SANGAT

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਕਾਰਵਾਈ: ਇੱਥੇ ਕੁਝ ਲੋਕ ਕਿਉਂ ‘ਦਹਿਸ਼ਤ ਦੇ ਸਾਏ ਹੇਠ’ ਜੀਣ ਦੀ ਗੱਲ ਆਖ ਰਹੇ ਹਨ

“ਮੈਂ ਤੇ ਮੇਰੀ ਪਤਨੀ ਬੁਟੀਕ ਚਲਾ ਰਹੇ ਹਾਂ। ਸਾਡਾ ਬਹੁਤਾ ਕੰਮ ਆਨ-ਲਈਨ ਹੈ। ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਵਾਲੀ ਘਟਨਾ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਦੁਕਾਨਦਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਸਹਿਮ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਹੈ।”

“ਪੈਰਾ ਮਿਲਟਰੀ ਫੋਰਸ ਦਿਨ-ਰਾਤ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਘੁੰਮਦੀ ਨਜ਼ਰ ਆਉਂਦੀ ਹੈ। ਸਾਡਾ ਕੰਮ ਵੀ ਪ੍ਰਭਾਵਿਤ ਹੋ ਗਿਆ ਹੈ।”

ਇਹ ਸ਼ਬਦ ਜ਼ਿਲਾ ਜਲੰਧਰ ਅਧੀਨ ਪੈਂਦੇ ਕਸਬਾ ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਸ਼ਹਿਰ ਵਿੱਚ ਕੱਪੜੇ ਦੀ ਸਿਲਾਈ ਕਰਨ ਵਾਲੇ ਹਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਦੇ ਹਨ।

ਅਸਲ ਵਿੱਚ 18 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇ ਕਾਫ਼ਲੇ ਨਾਲ ਚੱਲ ਰਹੇ ਉਨਾਂ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰਨ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪੁਲਿਸ ਵੱਲੋਂ ਫਲੈਗ ਮਾਰਚ ਕੀਤੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ।

ਪੁਲਿਸ ਮੁਤਾਬਕ ਹਾਲੇ ਤੱਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰੀ ਨਹੀਂ ਹੋਈ ਹੈ ਪਰ ਉਸ ਦੇ 154 ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ।

ਹਰਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਆਪਣੀ ਗੱਲ ਜਾਰੀ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਅਸਲ ਕਹਾਣੀ ਤਾਂ ਇਹ ਹੈ ਕੀ ਸਰਕਾਰ 19 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਹੋਈ ਮਰਹੂਮ ਪੰਜਾਬੀ ਗਾਇਕ ਸਿੱਧੂ ਮੂਸੇਵਾਲਾ ਦੀ ਬਰਸੀ ‘ਤੇ ਹੋਣ ਵਾਲੇ ਵੱਡੇ ਇਕੱਠ ਨੂੰ ਰੋਕਣਾ ਚਾਹੁੰਦੀ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਤਾਂ ਦਹਿਸ਼ਤ ਦੇ ਸਾਏ ਹੇਠ ਹੀ ਆਪਣੀ ਦੁਕਾਨਦਾਰੀ ਕਰਨ ਲਈ ਮਜਬੂਰ ਹਾਂ।”

ਉਨ੍ਹਾਂ ਕਿਹਾ, “ਹਰ ਪਾਸੇ ਪੈਰਾ ਮਿਲਟਰੀ ਫੋਰਸ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਹੋ ਕੇ ਘੁੰਮ ਰਹੀ ਹੈ, ਜਿਸ ਕਾਰਨ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚੋਂ ਗਾਹਕ ਵੀ ਸ਼ਹਿਰ ਵੱਲ ਘੱਟ ਆ ਰਿਹਾ ਹੈ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ
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ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ‘ਤੇ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ: ਹੁਣ ਤੱਕ ਕੀ-ਕੀ ਹੋਇਆ

  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਫੜ੍ਹਨ ਲਈ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਵੱਲੋਂ ਸ਼ਨੀਵਾਰ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਕਾਰਵਾਈ ਜਾਰੀ ਹੈ
  • ਹੁਣ ਤੱਕ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਨੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇ 154 ਸਾਥੀਆਂ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰਨ ਦਾ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਹੈ
  • ਪਰ ਪੁਲਿਸ ਦਾ ਕਹਿਣਾ ਹੈ ਕਿ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਅਜੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹਨ ਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਦੀ ਭਾਲ਼ ਜਾਰੀ ਹੈ
  • ਇਹ ਕਾਰਵਾਈ ਸ਼ਨੀਵਾਰ ਨੂੰ ਜਲੰਧਰ ਅਤੇ ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਦੇ ਇਲਾਕਿਆਂ ਤੋਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਗਈ ਸੀ
  • ਜੇ ਕੋਈ ਪੰਜਾਬ ’ਤੇ ਮਾੜੀ ਅੱਖ ਰੱਖੇ ਤਾਂ ਪੰਜਾਬ ਇਸ ਨੂੰ ਬਰਦਾਸ਼ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ ਹੈ: ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ
  • ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੇ ਵਕੀਲ ਕਿਹਾ ਕਿ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਵੀ ਐੱਨਐੱਸਏ ਲਗਾ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ ਹੈ
  • ਇਸ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਪੁਲਿਸ ਨੇ 5 ਲੋਕਾਂ ਉਪਰ ਐੱਨਐੱਸਏ ਲਗਾਉਣ ਦੀ ਪੁਸ਼ਟੀ ਕੀਤੀ ਸੀ
  • ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਇੰਟਰਨੈੱਟ ਸੇਵਾਵਾਂ ਮੰਗਲਵਾਰ ਦੁਪਹਿਰ ਤੱਕ ਮੁਅੱਤਲ ਹਨ
  • ਕੁਝ ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਵਿੱਚ ਧਾਰਾ 144 ਲਗਾਈ ਗਈ ਹੈ ਤੇ ਪੁਲਿਸ ਫਲੈਗ ਮਾਰਚ ਵੀ ਕੱਢ ਰਹੀ ਹੈ
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ਪੁਲਿਸ ਤੇ ਮਿਲਟਰੀ ਦੀ ਗਸ਼ਤ: ‘ਦਹਿਸ਼ਤ ਪੈਦਾ ਕਰਨ ਵਾਲਾ ਵਰਤਾਰਾ’

ਪੁਲਿਸ ਅਤੇ ਪੈਰਾ ਮਿਲਟਰੀ ਫੋਰਸ ਦੇ ਜਵਾਨਾਂ ਵੱਲੋਂ ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਅਤੇ ਪੁਲਿਸ ਜ਼ਿਲਾ ਦਿਹਾਤੀ ਜਲੰਧਰ ਅਧੀਨ ਪੈਂਦੇ ਕਸਬਾ ਮਹਿਤਪੁਰ ਤੋਂ ਇਲਾਵਾ ਆਸ-ਪਾਸ ਦੇ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਜੰਗੀ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਗਸ਼ਤ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ।

ਬੀਬੀਸੀ ਵੱਲੋਂ ਇਸ ਖੇਤਰ ਦੇ ਸ਼ਹਿਰੀ ਅਤੇ ਪੇਂਡੂ ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਸਾਥੀਆਂ ਉਪਰ ਕੀਤੀ ਕਾਰਵਾਈ ਬਾਅਦ ਪੈਦਾ ਹੋਏ ਹਾਲਾਤ ਬਾਰੇ ਪੁੱਛਿਆ ਗਿਆ ਤਾਂ ਇੱਕੋ ਜਵਾਬ ਮਿਲਿਆ, “ਅਸੀਂ ਡਰੇ ਹੋਏ ਹਾਂ ਕਿ ਕਿਤੇ ਪੰਜਾਬ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਖਰਾਬ ਨਾ ਹੋ ਜਾਵੇ।”

ਮਹਿਤਪੁਰ ਨੇੜਲੇ ਪਿੰਡ ਬਘੇਲਾ ਦੇ ਵਸਨੀਕ ਮਨਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਮੈਂ 1984 ਦੇ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਹਿਲੀ ਵਾਰ ਪਿੰਡਾਂ ਵਿੱਚ ਫੌਜੀਆਂ ਵਰਗੀ ਬਾਹਰਲੀ ਪੁਲਿਸ ਦੇਖੀ ਹੈ। ਇਹ ਵਰਤਾਰਾ ਪੰਜਾਬੀਆਂ ਲਈ ਦਹਿਸ਼ਤ ਪੈਦਾ ਕਰ ਰਿਹਾ ਹੈ।”

“ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਪੁਲਿਸ ਸਹਿਜ ਢੰਗ ਨਾਲ ਉਸ ਦੇ ਘਰੋਂ ਵੀ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕਰ ਸਕਦੀ ਸੀ ਪਰ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਨਾਂ ਨੂੰ ਰਸਤੇ ਵਿੱਚ ਘੇਰਿਆ, ਇਹ ਗ਼ਲਤ ਸੀ। ਅਸੀਂ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਨੂੰ 92 ਸੀਟਾਂ ਜਿਤਾ ਕੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਇਸ ਲਈ ਨਹੀਂ ਬਣਾਇਆ ਸੀ ਕਿ ਉਹ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਧਿਆਨ ਅਸਲ ਬੁਣਿਆਦੀ ਮੁੱਦਿਆਂ ਤੋਂ ਪਾਸੇ ਕਰਨ ਲਈ ਅਜਿਹੇ ਬੇਲੋੜੇ ਮਸਲੇ ਖੜ੍ਹੇ ਕਰੇ।”

ਸੁਲੱਖਣ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸੁਲੱਖਣ ਸਿੰਘ

ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਅਤੇ ਮਹਿਤਪੁਰ ਦੇ ਬਜ਼ਾਰਾਂ ਵਿੱਚ ਹਰ ਦੁਕਾਨ ਤੇ ਦਫਤਰਾਂ ਵਿੱਚ ਆਮ ਵਾਂਗ ਕੰਮ-ਕਾਰ ਹੋ ਰਿਹਾ ਸੀ। ਆਮ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਇਹ ਸਵਾਲ ਜ਼ਰੂਰ ਸੀ ਕੇ ਇੱਕ ਵਿਅਕਤੀ ਨੂੰ ਫੜਨ ਲਈ ਐਡਾ ‘ਅਡੰਬਰ’ ਕਿਉਂ ਰਚਿਆ ਗਿਆ।

ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਦੇ ਬਾਜ਼ਾਰ ਵਿੱਚ ਖਰੀਦੋ-ਫਰੋਖ਼ਤ ਕਰ ਰਹੇ ਸੁਲੱਖਣ ਸਿੰਘ ਨੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਖਿਲਾਫ਼ ਕੀਤੀ ਕਾਰਵਾਈ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਸ਼ਬਦਾਂ ਵਿੱਚ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਬਿਆਨ ਕੀਤਾ।

“ਸੂਬਾ ਤੇ ਕੇਂਦਰ ਸਰਕਾਰਾਂ ਸਿੱਖਾਂ ਦੇ ਮਨਾਂ ਵਿੱਚ ਡਰ ਦਾ ਮਾਹੌਲ ਸਿਰਜਣ ਲਈ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਰਤ ਰਹੀਆਂ ਹਨ। ਸਾਨੂੰ ਆਜ਼ਾਦ ਭਾਰਤ ਵਿੱਚ ਗੁਲਾਮੀ ਵਾਲਾ ਅਹਿਸਾਸ ਕਰਵਾਉਣ ਦਾ ਯਤਨ ਕੀਤਾ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਜੋ ਲੋਕਤੰਤਰ ਲਈ ਠੀਕ ਨਹੀਂ ਹੈ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਸੂਬੇ ਵਿੱਚ ਇੰਟਰਨੈਟ ਸੇਵਾ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰਨ ਉੱਪਰ ਵੀ ਕਈ ਕਾਰੋਬਾਰੀਆਂ ਨੇ ਸਵਾਲ ਚੁੱਕੇ।

ਇੰਟਰਨੈਟ ਸੇਵਾ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰਨ ’ਤੇ ਸਵਾਲ

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ਸੂਬੇ ਵਿੱਚ ਇੰਟਰਨੈਟ ਸੇਵਾ ਨੂੰ ਬੰਦ ਕਰਨ ਉੱਪਰ ਵੀ ਕਈ ਕਾਰੋਬਾਰੀਆਂ ਨੇ ਸਵਾਲ ਚੁੱਕੇ।

ਸੁਲੱਖਣ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਲਗਾਤਾਰ ਇੰਟਰਨੈਟ ਬੰਦ ਰਹਿਣ ਕਾਰਨ ਸਾਡਾ ਵਿਦੇਸ਼ਾਂ ਵਿੱਚ ਵਸੇ ਸਾਡੇ ਆਪਣਿਆਂ ਨਾਲ ਹੀ ਸੰਪਰਕ ਟੁੱਟ ਗਿਆ। ਈ-ਮੇਲ ਨਹੀਂ ਚੱਲੀ, ਜਿਸ ਕਰਕੇ ਸਥਾਨਕ ਪੱਧਰ ‘ਤੇ ਸਾਡਾ ਬਿਜ਼ਨਸ ਬੁਰੀ ਤਰ੍ਹਾਂ ਨਾਲ ਪ੍ਰਭਾਵਤ ਹੋਇਆ ਹੈ।”

ਉਹ ਆਪਣੀ ਗੱਲ ਜਾਰੀ ਰੱਖਦੇ ਹੋਏ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦਾ ਨਸ਼ਾ ਮੁਕਤ ਸਮਾਜ ਦੀ ਸਿਰਜਣਾ ਕਰਨ ਅਤੇ ਅੰਮ੍ਰਿਤ ਛਕਾਉਣ ਦੀ ਮੁਹਿੰਮ ਵਧੀਆ ਕਦਮ ਸੀ ਪਰ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਉਸ ਦੀਆਂ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਨੂੰ ਦੇਸ਼ ਲਈ ਖ਼ਤਰਾ ਕਿਵੇਂ ਮੰਨਿਆ, ਇਸ ਗੱਲ ਦੀ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਆ ਰਹੀ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਜ਼ਿਲਾ ਜਲੰਧਰ ਵਿੱਚ ਹੀ ਬਣੇ ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬੁਲੰਦਪੁਰੀ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਬਾਹਰ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦਸਤੇ ਮੁੱਸ਼ਤੈਦ ਸਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਬਾਰੇ ਅਫਵਾਹਾਂ

ਇਹ ਵੀ ਦੇਖਣ ਵਿੱਚ ਆਇਆ ਕਿ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲਾਂ ਦੀ ਤਾਇਨਾਤੀ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਦੇ ਥਾਣਿਆਂ ਸਾਹਮਣੇ ਕੀਤੀ ਗਈ ਹੈ।

ਸ਼ਾਹਕੋਟ ਅਤੇ ਮਹਿਤਪੁਰ ਦੇ ਥਾਣਿਆਂ ਅੱਗੇ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ ਮੌਜੂਦ ਸਨ।

ਦੇਖਣ ਵਿਚ ਆਇਆ ਕੇ ਇਨਾਂ ਥਾਣਿਆਂ ਦੇ ਮੇਨ ਗੇਟ ਬੰਦ ਸਨ। ਥਾਣੇ ਵਿੱਚ ਕੈਮਰਾ ਲੈ ਕੇ ਜਾਣ ਤੋਂ ਵੀ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲਾਂ ਵੱਲੋਂ ਰੋਕ ਦਿੱਤਾ ਗਿਆ।

ਦੂਜੀ ਗੱਲ ਇਹ ਵੀ ਉੱਭਰ ਕੇ ਸਾਹਮਣੇ ਆਈ ਹੈ ਕਿ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਅਫਵਾਹਾਂ ਦੀ ਭਰਮਾਰ ਸੀ।

ਜ਼ਿਲਾ ਜਲੰਧਰ ਵਿੱਚ ਹੀ ਬਣੇ ਇੱਕ ਵੱਡੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬੁਲੰਦਪੁਰੀ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਬਾਹਰ ਵੱਡੀ ਗਿਣਤੀ ਵਿੱਚ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਦਸਤੇ ਮੁੱਸ਼ਤੈਦ ਸਨ।

ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ ਤੋਂ ਲੰਘਣ ਵਾਲੀ ਲਿੰਕ ਸੜਕ ਉੱਪਰ ਇਨਾਂ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲਾਂ ਵੱਲੋਂ ਹਥਿਆਰਬੰਦ ਨਾਕਾਬੰਦੀ ਕੀਤੀ ਹੋਈ ਹੈ।

ਗਗਨਦੀਪ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਗਗਨਦੀਪ ਸਿੰਘ ਮਹਿਤਪੁਰ ਵਿੱਚ ਫਾਸਟ ਫੂਡ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਚਲਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਮਹਿਤਪੁਰ ਦੇ ਵਸਨੀਕ ਗਗਨਦੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਇਸ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਦੇ ਸਾਹਮਣੇ 18 ਮਾਰਚ ਤੋਂ ਹੀ ਇਹ ਦਸਤੇ ਮੌਜੂਦ ਹਨ।

“ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਵਿੱਚ ਆਉਣ ਵਾਲੇ ਹਰ ਸਖਸ਼ ਅਤੇ ਵਾਹਨਾਂ ਉੱਪਰ ਕਰੜੀ ਨਜ਼ਰ ਰੱਖੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ।”

ਗਗਨਦੀਪ ਸਿੰਘ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਹ ਮਹਿਤਪੁਰ ਵਿੱਚ ਫਾਸਟ ਫੂਡ ਦੀ ਦੁਕਾਨ ਚਲਾਉਂਦੇ ਹਨ।

ਉਹ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, “ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਖਿਲਾਫ਼ ਕਾਰਵਾਈ ਕਰਨ ਦੇ ਢੰਗ ਤੋਂ ਪੂਰੇ ਦੋਆਬੇ ਦੇ ਲੋਕ ਡਰੇ ਹੋਏ ਹਨ। ਬਾਹਰਲੀ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਤਾਇਨਾਤ ਕਰਨਾ ਸਰਕਾਰ ਦਾ ਗਲਤ ਕਦਮ ਹੈ। ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਜੇ ਪੰਜਾਬ ਨੂੰ ਬਚਾਉਣਾ ਹੈ ਤਾਂ ਉਹ ਗੈਂਗਸਟਰਾਂ ਵਿਰੁੱਧ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲਾਂ ਨੂੰ ਵਰਤੇ ਨਾ ਕੇ ਸਿੱਖਾਂ ਵਿਰੁੱਧ।”

ਜ਼ਿਕਰਯੋਗ ਹੈ ਕਿ 18 ਮਾਰਚ ਤੋਂ ਹੀ ਪੰਜਾਬ ਭਰ ਵਿੱਚ ਹੀ ਇਹ ਚਰਚਾ ਚੱਲੀ ਸੀ ਕਿ ਅੰਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਇਸ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਏ ਸਨ।

ਲੰਘੇ ਐਤਵਾਰ ਨੂੰ ਇਸ ਚਰਚਾ ਨੇ ਜ਼ੋਰ ਫੜਿਆ ਕਿ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਇਸੇ ਗੁਰਦਵਾਰੇ ਵਿੱਚੋਂ ਕਾਬੂ ਕਰ ਲਿਆ ਗਿਆ ਹੈ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

ਇਸ ਚਰਚਾ ਦੀ ਪੜਤਾਲ ਕਰਨ ਲਈ ਬੀਬੀਸੀ ਦੀ ਟੀਮ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬੁਲੰਦਪੁਰੀ ਸਾਹਿਬ ਵਿਖੇ ਪੁੱਜੀ।

ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਪ੍ਰਬੰਧਕ ਕਮੇਟੀ ਦੇ ਮੈਂਬਰਾਂ ਪਲਵਿੰਦਰ ਸਿੰਘ, ਬਲਜਿੰਦਰ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਪਰਵਿੰਦਰਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੈਮਰੇ ‘ਤੇ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਵਾਲੀ ਘਟਨਾ ਬਾਰੇ ਬੋਲਣ ਤੋਂ ਇਨਕਾਰ ਕਰ ਦਿੱਤਾ।

ਇਨਾਂ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਦੱਸਿਆ ਕੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬੁਲੰਦਪੁਰੀ ਸਾਹਿਬ ਨੂੰ ਲੈ ਕੇ ਕਈ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੀਆਂ ਅਫਵਾਹਾਂ ਫੈਲਾਈਆਂ ਜਾ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

ਕਮੇਟੀ ਮੈਂਬਰਾਂ ਨੇ ਇੱਕ-ਸੁਰ ਵਿੱਚ ਕਿਹਾ, “ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨਾ ਤਾਂ ਖੁਦ ਕਦੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਬੁਲੰਦਪੁਰੀ ਸਾਹਿਬ ਆਏ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਉਨਾਂ ਦਾ ਕੋਈ ਸਮਰਥਕ 18 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਇੱਥੇ ਆਇਆ ਸੀ।”

“ਹਾਂ, ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਦੇ ਬਾਹਰ ਕੇਂਦਰੀ ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ ਤੇ ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਜ਼ਰੂਰ ਤਾਇਨਾਤ ਹੈ। ਪੁਲਿਸ ਨਾ ਤਾਂ 18 ਮਾਰਚ ਨੂੰ ਗੁਰਦੁਆਰੇ ਦੀ ਹਦੂਦ ਵਿੱਚ ਦਾਖਲ ਹੋਈ ਤੇ ਨਾ ਹੀ ਬਾਅਦ ਵਿੱਚ। ਸੁਰੱਖਿਆ ਬਲ ਕਾਰ ਪਾਰਕਿੰਗ ਵਿੱਚ ਮੌਜੂਦ ਹਨ। ਇਸ ਦਾ ਕਾਰਨ ਅਸੀਂ ਪੁਲਿਸ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਪੁੱਛ ਸਕਦੇ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਇਸ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਲੋਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਜਾਂ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਗੱਲ ਕਰਨ ਤੋਂ ਟਾਲਾ ਹੀ ਵਟਦੇ ਨਜ਼ਰ ਆਏ।

ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਬਾਰੇ ਚੁੱਪੀ

ਇਸ ਇਲਾਕੇ ਦੇ ਬਹੁਤੇ ਲੋਕ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਜਾਂ ਪੁਲਿਸ ਦੀ ਕਾਰਵਾਈ ਦੀ ਗੱਲ ਕਰਨ ਤੋਂ ਟਾਲਾ ਹੀ ਵਟਦੇ ਨਜ਼ਰ ਆਏ।

ਮਹਿਤਪੁਰ ਦੇ ਇੱਕ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਨੇ ਆਪਣਾ ਨਾਂ ਗੁਪਤ ਰੱਖਣ ਦੀ ਸ਼ਰਤ ‘ਤੇ ਦੱਸਿਆ ਕਿ ਉਸ ਨੇ 18 ਮਾਰਚ ਦੀ ਪੁਲਿਸ ਕਾਰਵਾਈ ਦੌਰਾਨ ਕਿਸੇ ਵੀ ਗੱਡੀ ਵਿੱਚ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਨਹੀਂ ਦੇਖਿਆ ਸੀ।

“ਮੈਂ ਹੋਰ ਕੁੱਝ ਨਹੀਂ ਦੱਸ ਸਕਦਾ ਕਿਉਂਕਿ ਮੈਨੂੰ ਡਰ ਹੈ ਕੇ ਪੁਲਿਸ ਮੈਨੂੰ ਹੀ ਨਾ ਕਿਸੇ ਗੱਲ ਵਿੱਚ ਉਲਝਾ ਦੇਵੇ। ਪੁਲਿਸ ਸਾਡੇ ਸੀਸੀਟੀਵੀ ਕੈਮਰਿਆਂ ਦੇ ਡੀਵੀਆਰ ਜ਼ਬਤ ਕਰਕੇ ਲੈ ਗਈ ਹੈ। ਇਹ ਵੱਡਾ ਕੰਮ ਹੈ ਅਤੇ ਅਸੀਂ ਛੋਟੇ ਦੁਕਾਨਦਾਰ ਹਾਂ। ਇਨਾਂ ਗੱਲਾਂ ਤੋਂ ਅਸੀਂ ਕੀ ਲੈਣਾ ਹੈ।”

PUNJABSIKH SANGAT

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੇ ਕੀ ਗ਼ਲਤੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ, ਜੋ ਉਸ ਉੱਤੇ ਹੁਣ ਭਾਰੀ ਪੈ ਗਈਆਂ -ਨਜ਼ਰੀਆ

ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵੱਲੋਂ ‘ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ’ ਜਥੇਬੰਦੀ ਨਾਲ ਸਬੰਧਤ 154 ਲੋਕਾਂ ਨੂੰ ਵੱਖ-ਵੱਖ ਕੇਸਾਂ ਵਿੱਚ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ।

ਪਰ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਹਾਲੇ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਪਹੁੰਚ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਦੱਸੇ ਜਾ ਰਹੇ ਹਨ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਚੱਲ ਰਹੀ ਕਾਰਵਾਈ ਸਬੰਧੀ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ, “ਦੇਸ਼ ਖ਼ਿਲਾਫ਼ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਪਨਪਣ ਵਾਲੀ ਕਿਸੇ ਵੀ ਤਾਕਤ ਨੂੰ ਬਖਸ਼ਿਆ ਨਹੀਂ ਜਾਵੇਗਾ। ਆਮ ਆਦਮੀ ਪਾਰਟੀ ਧਰਮ ਨਿਰਪੱਖ਼ ਪਾਰਟੀ ਹੈ। ਦੇਸ ਵਿਰੋਧੀ ਕਿਸੇ ਤਾਕਤ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਸਿਰ ਨਹੀਂ ਚੁੱਕਣ ਦਿਆਂਗੇ।”

ਆਪਣੇ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਜਾਰੀ ਕੀਤੇ ਸੰਖ਼ੇਪ ਵੀਡੀਓ ਸੰਦੇਸ਼ ਦੌਰਾਨ ਮਾਨ ਨੇ ਕਿਹਾ, “ਮੇਰੇ ਖੂਨ ਦੀ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਬੂੰਦ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਹੈ।”

ਪੁਲਿਸ ਵੱਲੋਂ ਦਾਅਵਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਹੈ ਕਿ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੇ ਨੰਗਲ ਅੰਬੀਆ ਪਿੰਡ ਦੇ ਗੁਰਦੁਆਰਾ ਸਾਹਿਬ ਵਿੱਚ ਕੱਪੜੇ ਬਦਲੇ ਸਨ ਅਤੇ ਫਰਾਰ ਹੋ ਗਏ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਪਿਤਾ ਤਰਸੇਮ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਪੁੱਤਰ ਦੀ ਜਾਨ ਨੂੰ ਖਤਰਾ ਹੈ।

ਪੰਜਾਬ ਪੁਲਿਸ ਵਾਰਿਸ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਜਥੇਬੰਦੀ ਦੇ ਮੁਖੀ ਹਨ, ਉਹ ਸਿੱਖਾਂ ਲਈ ਖੁਦਮੁਖਤਿਆਰ ਰਾਜ (ਖਾਲਿਸਤਾਨ) ਦੀ ਪਾਪ੍ਰਤੀ ਨੂੰ ਆਪਣਾ ਨਿਸ਼ਾਨਾ ਦੱਸਦੇ ਹਨ।

ਕਈ ਸਾਲ ਦੁਬਈ ਰਹਿਣ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਪਿਛਲੇ ਸਾਲ ਅਗਸਤ ਮਹੀਨੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਵਾਪਸ ਆਏ ਅਤੇ ਉਨ੍ਹਾਂ ਅਮ੍ਰਿਤ ਸੰਚਾਰ ਅਤੇ ਨਸ਼ਾ ਛੁਡਾਊ ਲਹਿਰ ਦੇ ਨਾਂ ਉੱਤੇ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਆਪਣੇ ਨਾਲ ਜੋੜਨਾਂ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤਾ।

ਪਰ ਉਹ ਆਪਣੇ ਗਰਮਸੁਰ ਵਾਲੇ ਭਾਸ਼ਣਾ ਅਤੇ ਗੁਰਦੁਆਰਿਆਂ ਵਿਚਲੇ ਬੈਂਚ ਸਾੜਨ ਤੇ ਅਜਨਾਲਾ ਥਾਣੇ ਅੱਗੇ ਹੋਈ ਹਿੰਸਾ ਕਾਰਨ ਵਿਵਾਦਾਂ ਵਿੱਚ ਆ ਗਏ।

ਪੁਲਿਸ ਪਿਛਲੇ ਸ਼ਨੀਵਾਰ ਤੋਂ ਉਸ ਦਾ ਪਿੱਛਾ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ ਅਤੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਉਸ ਦੇ ਸਮਰਥਕਾਂ ਦੀ ਵੱਡੇ ਪੱਧਰ ਉੱਤੇ ਫੜੋ-ਫੜੀ ਚੱਲ ਰਹੀ ਹੈ।

ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਚੱਲ ਰਹੇ ਇਸ ਵਰਤਾਰੇ ਬਾਰੇ ਬੀਬੀਸੀ ਪੱਤਰਕਾਰ ਸਰਬਜੀਤ ਸਿੰਘ ਧਾਲੀਵਾਲ ਨੇ ਸੀਨੀਅਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਨਾਲ ਗੱਲਬਾਤ ਕੀਤੀ।

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੇ ਕੀ ਗਲਤੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ?

ਸੀਨੀਅਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਜੇਕਰ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਲੰਮੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸ ਨੇ ਮਹਿੰਗੀਆਂ ਗੱਡੀਆਂ ਲੈ ਕੇ ਲੋਕਾਂ ਦੀਆਂ ਨਜ਼ਰਾਂ ਵਿੱਚ ਨਹੀਂ ਆਉਣਾ ਸੀ।

”ਮੈਂ ਪਹਿਲੇ ਦਿਨ ਤੋਂ ਕਹਿ ਰਿਹਾ ਹਾਂ ਕਿ ਉਸ ਨੂੰ ਸਿਖਲਾਈ ਦੇ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਭੇਜਿਆ ਗਿਆ ਸੀ ਅਤੇ ਉਹ ਕਾਹਲ਼ਾ ਵਗ ਗਿਆ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਨੂੰ ਜਿੰਨਾਂ ਲੋਕਾਂ ਨੇ ਟਰੇਨਿੰਗ ਦੇ ਕੇ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਭੇਜਿਆ ਸੀ, ਉਹਨਾਂ ਤੋਂ ਇੱਕ ਗਲਤੀ ਹੋ ਗਈ। ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਥੋੜਾ ਤੇਜੀ ਨਾਲ ਚੱਲਿਆ। ਜੇਕਰ ਉਹ ਅਰਾਮ ਨਾਲ ਚੱਲਦਾ ਤਾਂ ਹਥਿਆਰਾਂ ਦਾ ਦਿਖਾਵਾ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਸੀ।

ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਅਰਾਮ ਨਾਲ ਪਹਿਲਾਂ ਲੋਕਾਂ ਵਿੱਚ ਕੰਮ ਕਰਕੇ ਅਧਾਰ ਬਣਾਉਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਸੀ।

“ਮੈਨੂੰ ਲੱਗਦਾ ਹੈ ਕਿ ਹੁਣ ਤੱਕ ਸਰਕਾਰ ਨੇ ਵੀ ਅਤੇ ਕੇਂਦਰ ਨੇ ਵੀ ਉਸ ਨੂੰ ਕਾਰਵਾਈਆਂ ਕਰਨ ਦਿੱਤੀਆਂ ਸਨ।”

ਉਸ ਨੂੰ ਹਥਿਆਰਾਂ ਨਾਲ ਤਮਾਸ਼ਾ ਕਰਨ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਸੀ, ਉਹ ਅਰਾਮ ਨਾਲ ਆਪਣੀਆਂ ਗਤੀਵਿਧੀਆਂ ਚਲਾ ਕੇ ਕੰਮ ਕਰ ਸਕਦਾ ਸੀ।

BBC ਸੀਨੀਅਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ
ਤਸਵੀਰ ਕੈਪਸ਼ਨ,ਸੀਨੀਅਰ ਪੱਤਰਕਾਰ ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ

ਘਰ ਤੋਂ ਫੜਨ ਦੀ ਬਜਾਏ ਵੱਡਾ ਹੱਲਾ ਕਿਉਂ ਹੋਇਆ?

ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ, ਜਿਸ ਥਾਂ ਤੋਂ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਭੱਜਿਆ ਉਹ ਉਸ ਦਾ ਇਲਾਕਾ ਨਹੀਂ ਸੀ। ਉਹ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਜਾ ਰਿਹਾ ਸੀ, ਜਿਵੇਂ ਸਭ ਗਲੀਆਂ ਜਾਣਦਾ ਹੋਵੇ।

“ਇਸ ਘਟਨਾ ਵਿੱਚ ਕਈ ਚੀਜਾਂ ਸਮਝ ਤੋਂ ਬਾਹਰ ਹਨ। ਇੱਕ ਵਾਰ ਜਦੋਂ ਸੰਤ ਜਰਨੈਲ ਸਿੰਘ ਭਿੰਡਰਾਵਾਲਿਆਂ ਨੂੰ ਪੁਲਿਸ ਫੜਨ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਕਰ ਰਹੀ ਸੀ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਅੰਦਾਜਾ ਹੋ ਗਿਆ। ਉਹ ਚੰਦੋਕਲ੍ਹਾਂ ( ਹਰਿਆਣਾ) ਤੋਂ ਲੁਧਿਆਣਾ ਚੱਲੇ ਸਨ ਪਰ ਉਹ ਟਰੱਕ ਵਿੱਚ ਬੈਠ ਕੇ ਫਰਾਰ ਹੋ ਗਏ।”

“ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਦਾ ਪਿੰਡ ਜੱਲੂਪੁਰ ਖੇੜਾ ਹੈ, ਇਹ ਮੋਗਾ ਲਈ ਹਰੀਕੇ ਵਾਲੇ ਰਸਤੇ ਕਿਉਂ ਗਏ?

ਉਸ ਦੇ ਚਾਚਾ ਅਤੇ ਹੋਰਾਂ ਨੂੰ ਅਸਾਮ ਇਸ ਲਈ ਭੇਜਿਆ ਜਾ ਰਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਕੋਈ ਗੱਲ ਬਾਹਰ ਨਾ ਆਵੇ।”

ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ

ਪੰਜਾਬ ਨੇ ਕੇਂਦਰ ਦਾ ਸਹਿਯੋਗ ਲਿਆ

ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਦੱਸਦੇ ਹਨ ਕਿ ਕੇਂਦਰ ਦੀਆਂ ਏਜੰਸੀਆਂ ਲੰਮੇਂ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਪੰਜਾਬ ਉਪਰ ਨਜ਼ਰ ਰੱਖ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

ਉਹ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਜੋ ਕਈ ਸਾਲਾਂ ਤੋਂ ਹੋ ਰਿਹਾ ਹੈ, ਉਹ ਪੰਜਾਬ ਦੀ ਯੁੱਧਨੀਤਿਕ ਸਥਿਤੀ ਦੀ ਮਹੱਤਤਾ ਹੈ।

ਇਸ ਕਾਰਨ ਕਿਸੇਂ ਸਮੇਂ ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਡੀਜੀਪੀ ਦੀ ਨਿਯੁਕਤੀ ਦਿੱਲੀ ਤੋਂ ਹੀ ਆਉਂਦੀ ਸੀ।

ਭਾਵੇਂ ਕਿ ਲਿਖਤੀ ਰੂਪ ਵਿੱਚ ਨਾ ਹੋਵੇ ਪਰ ਮਨਜੂਰੀ ਦਿੱਲੀ ਦੀ ਹੀ ਹੁੰਦੀ ਸੀ।

ਪੰਜਾਬ ਦੇ ਸਾਰੇ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਦਿੱਲੀ ਤੋਂ ਹੀ ਬਣਾਏ ਜਾਂਦੇ ਹਨ।

ਇਸ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਵਲੋਂ ਕੇਂਦਰੀ ਏਜੰਸੀਆਂ ਦੀ ਮਦਦ ਲਏ ਜਾਣ ਦੇ ਸਪੱਸ਼ਟ ਸੰਕੇਤ ਨਜ਼ਰ ਆ ਰਹੇ ਹਨ।

ਪਰ ਇੱਕ ਗੱਲ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਆ ਰਹੀ ਕਿ ਕੇਂਦਰੀ ਏਜੰਸੀਆਂ ਨੂੰ ਇੰਨੀਆਂ ਤਜਰਬੇਕਾਰ ਮੰਨਿਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ, ਰਾਅ ਅਤੇ ਐੱਨਆਈਏ ਦੇ ਦੋਵੇਂ ਮੁਖੀ ਪੰਜਾਬ ਤੋਂ ਹਨ, ਫੇਰ ਇਸ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਦੀ ਯੋਜਨਾ ਬੰਦੀ ਇੰਨੀ ਮਾੜੀ ਕਿਉਂ ਲੱਗੀ।

ਜਿਵੇਂ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਪਿਤਾ ਨੇ ਵੀ ਸਵਾਲ ਚੁੱਕਿਆ ਹੈ ਕਿ ਜੇਕਰ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫਤਾਰ ਹੀ ਕਰਨਾ ਸੀ ਤਾਂ ਉਸਦੇ ਘਰ ਤੋਂ ਕਿਉਂ ਨਹੀਂਂ ਚੁੱਕਿਆ ਗਿਆ।

‘‘ਜੇ ਬਾਹਰ ਵੀ ਫੜਨਾ ਸੀ ਤਾਂ ਘਰ ਤੋਂ ਨਿਕਲਦੇ ਨੂੰ ਚੁੱਕ ਲੈਂਦੇ, ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਮਾਮਲਾ ਉਛਾਲਣਾ, 7 ਜ਼ਿਲ੍ਹਿਆਂ ਦੀ ਪੁਲਿਸ ਇਕੱਠੀ ਕਰਨ, ਅਜਿਹਾ ਕਿਉਂ ਕੀਤਾ ਗਿਆ, ਇਸ ਪਿੱਛੇ ਸਿਆਸਤ ਕੀ ਹੈ।’’

ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੇਣ ਦੀ ਗੱਲ ਅਤੇ ਪੜਾਈ ਦਾ ਮਾਮਲਾ

ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਮੁਤਾਬਕ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਵੱਲੋਂ ਨੌਜਨਾਵਾਂ ਨੂੰ ਨੌਕਰੀਆਂ ਅਤੇ ਕੰਪਿਊਟਰ ਦੇਣ ਦੀ ਗੱਲ ਦਾ ਸਹੀ ਅਰਥ, ਇਹੋ ਹੈ ਕਿ ਇਹ ਚੀਜ਼ਾਂ ਨੌਜਵਾਨਾਂ ਨੂੰ ਦੇਣੀਆਂ ਹੀ ਚਾਹੀਦੀਆਂ ਹਨ।

“ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਹੁਰਾਂ ਨੇ ਆ ਕੇ ਪ੍ਰਚਾਰ ਕੀਤਾ ਕਿ ਪੜਨ ਦੀ ਲੋੜ ਨਹੀਂ ਹੈ। ਇਹਨਾਂ ਨੇ ਸਿਰ ਦੇਣ ਅਤੇ ਲੈਣ ਦੀ ਗੱਲ ਸ਼ੁਰੂ ਕੀਤੀ ਸੀ। ਇਹ ਗੱਲ ਵੱਖਰੀ ਹੈ ਕਿ ਜਦੋਂ ਮੌਕਾ ਆਇਆ ਤਾਂ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ ਖੁਦ ਲਾਪਤਾ ਹੋ ਗਏ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਦੇ ਸੰਦੇਸ਼ ਦਾ ਕੀ ਅਰਥ ਹੈ?

ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਨੇ ਆਪਣਾ ਸੰਦੇਸ਼ ਹਿੰਦੀ ਵਿੱਚ ਦਿੱਤਾ ਤਾਂ ਇਹ ਸਮਝਣ ਦੀ ਲੋੜ ਹੈ ਕਿ ਉਹ ਕਿਹੜੇ ਸੂਬਿਆਂ ਨੂੰ ਸੁਣਾਉਣਾ ਚਹੁੰਦੇ ਸਨ।

ਇਹ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਹੁੰਦਾ ਤਾਂ ਉਹਨਾਂ ਨੂੰ ਪੰਜਾਬੀ ਵਿੱਚ ਬੋਲਣਾ ਚਾਹੀਦਾ ਸੀ।

“ਦੂਜੇ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਕਿ ‘ਮੇਰੇ ਖੂਨ ਦੀ ਇੱਕ-ਇੱਕ ਬੂੰਦ ਪੰਜਾਬ ਲਈ ਹੈ’, ਇਸ ਬਾਰੇ ਮੈਨੂੰ ਯਾਦ ਹੈ ਕਿ ਕਿਸੇ ਸਮੇਂ ਇੰਦਰਾ ਗਾਂਧੀ ਅਜਿਹਾ ਕਹਿੰਦੇ ਸਨ। ਉਹ ਇਸ ਤਰ੍ਹਾਂ ਦੇ ਭਾਸ਼ਨ ਦਿੰਦੇ ਸਨ ਕਿ ਮੇਰਾ ਖੂਨ ਦੇਸ਼ ਦੇ ਲੇਖੇ ਲਈ ਹੈ।”

“ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਦੇ ਮਾਮਲੇ ਵਿੱਚ ਜੋ ਉਹਨਾਂ ਨੇ ਕਿਹਾ ਹੈ ਕਿ ਸ਼ਾਂਤੀ ਬਣਾ ਕੇ ਰੱਖਣੀ ਹੈ, ਇਹ ਇੱਕ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਦਾ ਕੰਮ ਹੈ। ਪਰ ਮਹਾਰਾਸ਼ਟਰ ਵਿੱਚ ਇੱਕ ਹਿੰਦੂ ਗਰੁੱਪ ਵੱਲੋਂ ਮੁਸਲਮਾਨਾਂ ਖਿਲਾਫ਼ ਬਿਆਨਬਾਜੀ ਕੀਤੀ ਜਾ ਰਹੀ ਹੈ, ਉੱਥੇ ਕੋਈ ਕਾਰਵਾਈ ਨਹੀਂ ਹੁੰਦੀ।”

“ਜਦੋਂ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚ ਕੋਈ ਅਜਿਹੀ ਘਟਨਾ ਵਾਪਰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਇਹ ਦਿਖਾਇਆ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਜਿਵੇਂ ਕੋਈ ਅੱਗ ਲੱਗ ਗਈ ਹੋਵੇ।”

ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਸਿੰਘ

ਕੀ ਸਰਕਾਰ ਵਿੱਚ ਲੋਕਾਂ ਦਾ ਭਰੋਸਾ ਵਧੇਗਾ?

ਜਗਤਾਰ ਸਿੰਘ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਕਾਰਵਾਈ ਨਾਲ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਜਿਆਦਾ ਚੰਗੀ ਤਸਵੀਰ ਬਣ ਕੇ ਸਾਹਮਣੇ ਨਹੀਂ ਆਈ ਸਗੋਂ ਬਦਨਾਮੀ ਹੀ ਹੋਈ ਹੈ। ਇਸ ਦਾ ਨਕਾਰਤਮਕ ਪ੍ਰਭਾਵ ਗਿਆ ਹੈ।

ਉਹ ਕਹਿੰਦੇ ਹਨ ਕਿ ਜੇਕਰ ਅਮ੍ਰਿਤਪਾਲ ਨੂੰ ਗ੍ਰਿਫ਼ਤਾਰ ਕਰ ਲਿਆ ਜਾਂਦਾ ਤਾਂ ਸ਼ਾਇਦ ਇਸ ਦਾ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਦੀ ਦਿੱਖ ਨੂੰ ਕੁਝ ਫਾਇਦਾ ਹੋ ਸਕਦਾ ਸੀ, ਪਰ ਹੁਣ ਤਾਂ ਇਸ ਦਾ ਅਸਰ ਨਾਂਹਪੱਖ਼ੀ ਹੀ ਲੱਗ ਰਿਹਾ ਹੈ।

ਜਿੱਥੇ ਜਿਸ ਇਨਸਾਨ ਨੂੰ ਤੁਸੀਂ ਫੜਨਾ ਸੀ, ਜੇ ਉਹ ਨਿਕਲ ਗਿਆ ਤਾਂ ਬਾਕੀ ਮੈਟਰ ਨਹੀਂ ਕਰਦਾ। ਮੇਰੇ ਖ਼ਿਆਲ ਵਿੱਚ ਇਹ ਬਹੁਤ ਹੀ ਘਟੀਆ ਯੋਜਨਾਬੰਦੀ ਵਾਲਾ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਹੈ।

ਹੁਣ ਦਿੱਤੀ ਤੋਂ ਲਗਾਤਾਰ ਇਹ ਖ਼ਬਰਾਂ ਲੱਗ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਕਿ ਇਸ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਦੀ ਨਿਗਰਾਨੀ ਵੀ ਕੇਂਦਰੀ ਏਜੰਸੀਆਂ ਕਰ ਰਹੀਆਂ ਹਨ।

ਜਿਵੇਂ ਖ਼ਬਰਾਂ ਆ ਰਹੀਆਂ ਹਨ ਕਿ ਕਈ ਦਿਨਾਂ ਤੋਂ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਦੀ ਤਿਆਰੀ ਸੀ, ਜੇ ਤਿਆਰੀ ਅਜਿਹੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ ਤਾਂ ਗੱਲ ਸਮਝੋਂ ਬਾਹਰੀ ਹੈ, ਇਸ ਵਿੱਚ ਤਾਂ ਕੇਂਦਰੀ ਏਜੰਸੀਆਂ ਦੀ ਕਾਰਗੁਜ਼ਾਰੀ ਦੀ ਵੀ ਸਮਝ ਨਹੀਂ ਪੈਂਦੀ।

”ਇਹ ਮੈਸੇਜ ਕੀ ਦੇਣਾ ਚਾਹੁੰਦੇ ਹਨ, ਕੀ 2024 ਦੀ ਲੜਾਈ ਪੰਜਾਬ ਵਿੱਚੋਂ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ। ਇੱਕ ਪਾਸੇ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਕੇਂਦਰੀ ਏਜੰਸੀਆਂ ਦੇ ਤਾਲਮੇਲ ਨਾਲ ਕਾਰਵਾਈ ਹੋ ਰਹੀ ਹੈ, ਇਸ ਦਾ ਅਰਥ ਹੈ ਭਾਜਪਾ ਕਰ ਰਹੀ ਹੈ, ਇੱਕ ਇਹ ਸਿਆਸਤ ਹੈ।”

”ਦੂਜੇ ਪਾਸੇ ਸਰਕਾਰ ਆਪ ਦੀ ਹੈ, ਪਰ ਕਿਹਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ ਕਿ ਭਗਵੰਤ ਮਾਨ ਮੁੱਖ ਮੰਤਰੀ ਆਪ ਦੇ ਹੀ ਨਹੀਂ, ਉਨ੍ਹਾਂ ਦਾ ਦਿੱਲੀ ਵਾਲਿਆਂ ਨਾਲ ਵੀ ਪੂਰਾ ਤਾਲਮੇਲ ਹੈ। ਜਾਣਿ ਕਿ ਭਾਜਪਾ ਦੀ ਸਰਕਾਰ ਨਾਲ। ਕਿੱਥੇ ਕੌਣ ਕਿਹਦੀ ਸਿਆਸਤ ਕਰਨ ਰਿਹਾ ਹੈ ਇਹ ਦੇਖਣ ਵਾਲੀ ਗੱਲ ਹੈ।”

”ਜੇਕਰ ਇੰਨੇ ਦਿਨ ਦੀ ਯੋਜਨਾਬੰਦੀ ਤੋਂ ਬਾਅਦ ਆਪਰੇਸ਼ਨ ਸਿਰ੍ਹੇ ਨਹੀਂ ਚੜ੍ਹਿਆ ਤਾਂ ਸਵਾਲ ਦਿੱਲੀ ਵਾਲਿਆਂ ਦੇ ਨਾਲ ਪੰਜਾਬ ਸਰਕਾਰ ਉੱਤੇ ਜ਼ਿਆਦਾ ਹੈ।”

international

A person arrested in the case of taking down the tricolor from the Indian High Commission in Britain

ब्रिटेन की राजधानी लंदन में उग्र भीड़ की ओर से भारतीय उच्चायोग में हंगामा खड़ा करने के मामले में एक संदिग्ध को गिरफ़्तार किया गया है.

इससे पहले सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए जिनमें भीड़ के हाथों में “खालिस्तान” के झंडे दिख रहे हैं. इसी वीडियो में एक शख्स भारतीय उच्चायोग पर लगे तिरंगे को उतारता दिख रहा है.

इस मामले के सामने आने के बाद भारत ने ब्रिटेन के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई.

भारत ने दिल्ली में मौजूद वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया.

समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत ने ब्रिटिश राजनयिक को रविवार रात तलब किया और “सुरक्षा व्यवस्था न होने” पर स्पष्टीकरण मांगा.

विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि ‘भारत को ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और वहां काम करने वालों की सुरक्षा के प्रति ब्रिटेन सरकार की बेरुख़ी देखने को मिली है, जो अस्वीकार्य है.’

सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस फ़िलहाल दिल्ली में नहीं है इसलिए ब्रिटेन के डिप्टी उच्चायुक्त क्रिस्टियान स्कॉट को विदेश मंत्रालय ने तलब किया.

विदेश मंत्रालय ने कहा, “लंदन में भारतीय उच्चायोग के ख़िलाफ़ अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों की कार्रवाई पर भारत का कड़ा विरोध जताने के लिए नई दिल्ली में ब्रिटेन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक को रविवार देर शाम तलब किया गया.”

बयान में कहा गया है, “ब्रिटेन से सुरक्षा व्यवस्था न होने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिससे ये तत्व उच्चायोग परिसर में दाखिल हुए.”

विदेश मंत्रालय ने इस मामले में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ़्तार किए जाने की भी मांग की है.

भीड़ को देखते हुए रविवार को लंदन के ऑल्डविच में पुलिस को बुलाया गया.

मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा कि इस मामले में दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं और जाँच शुरू कर दी गई है.

पीए न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ये भीड़ अलगाववादी सिख गुट ‘खालिस्तान’ समर्थक थी.

अधिकारियों को भारतीय समयानुसार रविवार शाम करीब साढ़े 7 बजे भारतीय उच्चायोग बुलाया गया.

मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार, “सुरक्षाबलों के पहुंचने से पहले ही भीड़ वहां से हट चुकी थी.”

पुलिस के प्रवक्ता ने बताया, “खिड़कियां (भारतीय उच्चायोग की) टूटी हुई थीं और दो सुरक्षाकर्मियों को हल्की चोट आई थी, जिसके लिए अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी.”

पुलिस के अनुसार मामले की जाँच जारी है.

मामले की निंदा करते हुए लंदन के मेयर सादिक ख़ान ने कहा कि उनके शहर में इस तरह के व्यवहार की कोई

जगह नहीं है.

वहीं, एक ट्वीट में भारत में ब्रितानी उच्चायुक्त एलिस ने इस मामले की निंदा की है. उन्होंने इसे ‘शर्मनाक’ और ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया है.

ब्रिटेन के मंत्री तारिक अहमद ने कहा कि वह “हैरान” हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को “गंभीरता से” लेगी.

उन्होंने कहा, “ये (भीड़ का हंगामा) उच्चायोग और उसके कर्मचारियों के ख़िलाफ़ एकदम अस्वीकार्य कार्रवाई है.”