Some Sikh organizations protested against the ongoing Punjab Police action against Amritpal Singh at the Indian High Commission in London on Sunday.
According to the Indian Ministry of External Affairs, the protesters entered the building and pulled down the Indian flag from the Indian High Commission building.
In opposition to this and in support of the High Commission, people of Indian origin gathered outside the High Commission.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वह चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ यूक्रेन संघर्ष का हल निकालने के लिए 12 सूत्री बीजिंग प्लान पर चर्चा करेंगे.
पुतिन ने कहा है कि इस संघर्ष का हल निकालने के लिए वह बातचीत के लिए हमेशा तैयार हैं.
चीन ने पिछले महीने यूक्रेन युद्ध ख़त्म करने के लिए 12 सूत्री बीजिंग प्लान जारी किया था जिसमें शांतिवार्ता शुरू करने और शत्रुतापूर्ण गतिविधियों को विराम देना शामिल था.
हालांकि, अमेरिका ने शुक्रवार को कहा है कि ये पीस प्लान टालमटोल की रणनीति हो सकती है.
अमेरिकी विदेश मंत्री ने दी चेतावनी
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने दुनिया से इस ‘पीस प्लान’ यानी शांति योजना को सतर्कता के साथ देखने की अपील की है.
उन्होंने कहा, “दुनिया को रूस की ओर से इस युद्ध को अपनी शर्तों पर ख़त्म करने के लिए उठाए गए चीन या किसी अन्य देश की ओर से समर्थित रणनीतिक कदम के चक्कर में नहीं पड़ना चाहिए.”
उन्होंने ये भी कहा कि ‘यूक्रेन की ज़मीन से रूसी सैन्य बलों को हटाए बग़ैर युद्ध विराम की बात करना रूसी आक्रमण को समर्थन देने जैसा होगा.’
चीन ने कुछ दिनों पहले सार्वजनिक हुए बीजिंग प्लान में स्पष्ट रूप से ये नहीं कहा है कि रूसी सैन्य बलों को यूक्रेन से बाहर निकलना चाहिए.
जबकि यूक्रेन सरकार का कहना है कि किसी भी बातचीत के लिए पहली शर्त रूसी बलों का यूक्रेन से बाहर निकलना है.
चीन के 12 सूत्री कार्यक्रम में सभी देशों की संप्रभुता का सम्मान करने की बात कही गयी है.
इसके साथ ही कहा गया है कि सभी पक्षों को तार्किकता के साथ संयम से काम लेते हुए धीरे-धीरे शांति की ओर बढ़ना चाहिए.
बीजिंग प्लान में एकतरफ़ा प्रतिबंधों की भी निंदा की गयी है जिसे यूक्रेन के पश्चिमी सहयोगियों की निंदा के रूप में देखा गया है.
शी जिनपिंग का शानदार स्वागत
सोमवार को रूसी सेना के एक बैंड ने शी जिनपिंग का भव्य अंदाज़ में स्वागत किया.
इसके साथ ही रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने चीन की ओर से ‘न्याय के सिद्धांतों का पालन करने’ और सभी देशों के लिए सुरक्षा की मांग करने के लिए उनकी तारीफ़ की.
इसके उत्तर में शी जिनपिंग ने कहा, “आपके मज़बूत नेतृत्व में रूस ने विकास का एक लंबा सफर तय किया है. मुझे विश्वास है कि रूसी जनता आपको अपना समर्थन देती रहेगी.”
शी जिनपिंग के मॉस्को पहुंचने से पहले पुतिन ने चीन के पीपुल्स डेली अख़बार में लिखा है कि दोनों देश अमेरिका की आक्रामक नीति के बावजूद कमज़ोर नहीं होंगे.
वहीं, यूक्रेनी नेता सार्वजनिक रूप से उन बातों को रेखांकित कर रहे है जिन पर चीन और यूक्रेन एक मत हैं, जैसे संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान.
हालांकि, निजी तौर पर वे यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर ज़ेलेंस्की और शी जिनपिंग के बीच बैठक या एक फोन कॉल के लिए कोशिशें कर रहे हैं.
यूक्रेन की चिंता
कीएव में इन दिनों चिंता की वजह रूस को चीन की ओर से हथियार और गोला-बारूद मिलने से जुड़ी आशंकाएं हैं.
पिछले कुछ दिनों में आशंकाएं जताई गयी हैं कि चीन रूस को जारी अपने समर्थन का दायरा बढ़ाकर गोला-बारूद दे सकता है जिनमें आर्टिलरी शैल्स शामिल हो सकते हैं.
यूक्रेन की राष्ट्रीय सुरक्षा और रक्षा परिषद के सचिव ओलेक्सी डानिलोव कहते हैं, “अगर चीन खुलकर रूस को हथियार देना शुरू करता है तो वह आक्रमणकारी के साथ खड़ा होगा.”
ब्रिटेन स्थित चैटम हाउस में चीन से जुड़े मामलों की जानकार यू जी के मुताबिक़, रूस के साथ अपने रिश्तों को स्थायित्व देना चीन के हित में है क्योंकि उसकी चीन के साथ 4300 किलोमीटर लंबी सीमा-रेखा है.
रूस चीन की विशाल अर्थव्यवस्था के लिए तेल का स्रोत भी है. और इसके साथ ही उसे अमेरिका के ख़िलाफ़ खड़े हुए साझेदार के रूप में भी देखा जाता है.
यू बताती हैं कि शी जिनपिंग ने ईरान और सऊदी अरब के बीच मध्यस्थता करके कूटनीतिक जीत हासिल की है. इस मध्यस्थता के बाद दोनों देशों के बीच कूटनीतिक रिश्ते बहाल हो गए हैं.
उनके लिए ये रूस और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता करने की संभावनाएं तलाशने का अवसर हो सकता है.
इमेज कैप्शन,मॉस्को में व्लादिमीर पुतिन के साथ शी जिनपिंग
शी जिनपिंग के लिए परोसा गया सेवन कोर्स मील
सोमवार शाम मॉस्को में शी जिनपिंग को सेवन कोर्स मील परोसा गया जिसमें उत्तरी रूस में बहने वाली पेछोरा नदी की नेलमा मछली शामिल थी.
इसके साथ ही एक पारंपरिक सी-फूड सूप और क्वेल के साथ पैनकेक्स शामिल थे. और इन तमाम चीज़ों के साथ उन्हें रूसी वाइन परोसी गयी थी.
रूसी राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता दिमित्री पेस्कोव ने संकेत दिया था कि इस डिनर के दौरान रूस की ओर से यूक्रेन में की गयी कार्रवाई की वजहों को विस्तृत ढंग से समझाया जाएगा.
रूस और चीनी डेलिगेट्स के बीच मंगलवार के दिन वार्ताओं का दौर चलेगा.
ये बैठकें अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय की ओर से रूसी राष्ट्रपति के ख़िलाफ़ लगाए गए युद्ध अपराधों के मामले में गिरफ़्तारी का वारंट जारी किए जाने के कुछ दिन बाद ही हो रही हैं.
इस मतलब ये है कि पुतिन को 123 देशों में गिरफ़्तार किया जा सकता है. हालांकि, रूस और चीन इन देशों में शामिल नहीं हैं.
अमेरिकी विदेश मंत्री ब्लिंकेन ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय का फ़ैसला आने के तुरंत बाद शी जिनपिंग का रूस जाना ये सुझाता है कि चीन यूक्रेन में हुए अत्याचारों के लिए रूस को जवाबदेह ठहराने की ज़िम्मेदारी महसूस नहीं करता है.
पश्चिमी देशों के नेता पिछले साल फरवरी के बाद से रूस को दुनिया में अलग-थलग करने की कोशिश कर रहे हैं.
लेकिन अब तक पश्चिमी देश इस मुद्दे पर वैश्विक आम राय बनाने में सफल नहीं हुए हैं. और चीन, भारत समेत कई अफ़्रीकी देशों ने अब तक पुतिन की आलोचना नहीं की है.
इमेज कैप्शन,सोशल मीडिया पर शेयर हो रहे कुछ वीडियो में कई धमाके होते दिख रहे हैं
क्राइमिया में मिसाइल हमले
शी जिनपिंग के इस दौरे के बीच ही क्राइमिया में ताबड़तोड़ मिसाइल हमले होने की ख़बर आई है.
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि रूस के क़ब्ज़े वाले क्राइमिया के उत्तरी हिस्से में धमाके से ट्रेन के ज़रिए लाई जा रही रूसी मिसाइलें नष्ट हो गई हैं.
रूस की ओर से नियुक्त ज़ानकोई शहर के प्रमुख आइहोर आइविन ने कहा कि इलाके में ड्रोन से हमला किया गया है.
यूक्रेन ने धमाकों की जानकारी दी, लेकिन उसने साफ़-साफ़ ये नहीं बताया कि इन हमलों के पीछे उसका हाथ है.
अगर इसकी पुष्टि होती है तो साल 2014 में क्राइमिया पर रूस के नियंत्रण के बाद ये यूक्रेन की सेना का इस तरह का पहला आक्रमण होगा.
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि ”धमाकों के ज़रिए रूस का विसैन्यीकरण (डीमिलिटराइज़ेशन) जारी है और इससे यूक्रेन के क्राइमिया प्रायद्वीप को मुक्त कराने की प्रक्रिया शुरू हो रही है.”
यूक्रेन ने कहा कि ये मिसाइलें काला सागर में रूस के बेड़े में इस्तेमाल की जानी थी.
रूस के अधिकारी आइविन ने कहा कि एक 33 वर्षीय व्यक्ति को गिराए गए ड्रोन से लगी चोट के बाद अस्पताल ले जाया गया. हालांकि, उन्होंने ये जानकारी नहीं दी कि किसी सैन्य ठिकाने को निशाना बनाया गया है या नहीं.
आइविन ने स्थानीय मीडिया की रिपोर्टों का हवाला देते हुए कहा कि कई इमारतों में आग लगी है और पावर ग्रिड क्षतिग्रस्त हुए हैं.
इससे पहले रूस ने बीते साल अक्टूबर में यूक्रेन पर ड्रोन हमले करने का आरोप लगाया था. उस समय रूस ने कहा था कि पोर्ट सिटी सेवस्तोपोल में यूक्रेन के 9 ड्रोन हमलों से युद्धपोत क्षतिग्रस्त हुआ. हालांकि, यूक्रेन ने उस हमले की ज़िम्मेदारी नहीं ली थी.
ब्रिटेन की राजधानी लंदन में उग्र भीड़ की ओर से भारतीय उच्चायोग में हंगामा खड़ा करने के मामले में एक संदिग्ध को गिरफ़्तार किया गया है.
इससे पहले सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल हुए जिनमें भीड़ के हाथों में “खालिस्तान” के झंडे दिख रहे हैं. इसी वीडियो में एक शख्स भारतीय उच्चायोग पर लगे तिरंगे को उतारता दिख रहा है.
इस मामले के सामने आने के बाद भारत ने ब्रिटेन के सामने कड़ी आपत्ति दर्ज कराई.
भारत ने दिल्ली में मौजूद वरिष्ठ ब्रिटिश राजनयिक को तलब किया.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, भारत ने ब्रिटिश राजनयिक को रविवार रात तलब किया और “सुरक्षा व्यवस्था न होने” पर स्पष्टीकरण मांगा.
विदेश मंत्रालय ने बयान में कहा कि ‘भारत को ब्रिटेन में भारतीय राजनयिक परिसरों और वहां काम करने वालों की सुरक्षा के प्रति ब्रिटेन सरकार की बेरुख़ी देखने को मिली है, जो अस्वीकार्य है.’
सूत्रों के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई ने बताया है कि भारत में ब्रिटेन के उच्चायुक्त एलेक्स एलिस फ़िलहाल दिल्ली में नहीं है इसलिए ब्रिटेन के डिप्टी उच्चायुक्त क्रिस्टियान स्कॉट को विदेश मंत्रालय ने तलब किया.
विदेश मंत्रालय ने कहा, “लंदन में भारतीय उच्चायोग के ख़िलाफ़ अलगाववादी और चरमपंथी तत्वों की कार्रवाई पर भारत का कड़ा विरोध जताने के लिए नई दिल्ली में ब्रिटेन के सबसे वरिष्ठ राजनयिक को रविवार देर शाम तलब किया गया.”
बयान में कहा गया है, “ब्रिटेन से सुरक्षा व्यवस्था न होने पर स्पष्टीकरण मांगा गया है, जिससे ये तत्व उच्चायोग परिसर में दाखिल हुए.”
विदेश मंत्रालय ने इस मामले में शामिल लोगों की पहचान कर उन्हें गिरफ़्तार किए जाने की भी मांग की है.
भीड़ को देखते हुए रविवार को लंदन के ऑल्डविच में पुलिस को बुलाया गया.
मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने कहा कि इस मामले में दो सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं और जाँच शुरू कर दी गई है.
पीए न्यूज़ एजेंसी के अनुसार ये भीड़ अलगाववादी सिख गुट ‘खालिस्तान’ समर्थक थी.
अधिकारियों को भारतीय समयानुसार रविवार शाम करीब साढ़े 7 बजे भारतीय उच्चायोग बुलाया गया.
मेट्रोपॉलिटन पुलिस के अनुसार, “सुरक्षाबलों के पहुंचने से पहले ही भीड़ वहां से हट चुकी थी.”
पुलिस के प्रवक्ता ने बताया, “खिड़कियां (भारतीय उच्चायोग की) टूटी हुई थीं और दो सुरक्षाकर्मियों को हल्की चोट आई थी, जिसके लिए अस्पताल जाने की ज़रूरत नहीं पड़ी.”
पुलिस के अनुसार मामले की जाँच जारी है.
मामले की निंदा करते हुए लंदन के मेयर सादिक ख़ान ने कहा कि उनके शहर में इस तरह के व्यवहार की कोई
जगह नहीं है.
वहीं, एक ट्वीट में भारत में ब्रितानी उच्चायुक्त एलिस ने इस मामले की निंदा की है. उन्होंने इसे ‘शर्मनाक’ और ‘पूरी तरह अस्वीकार्य’ बताया है.
ब्रिटेन के मंत्री तारिक अहमद ने कहा कि वह “हैरान” हैं और उम्मीद करते हैं कि सरकार भारतीय उच्चायोग की सुरक्षा को “गंभीरता से” लेगी.
उन्होंने कहा, “ये (भीड़ का हंगामा) उच्चायोग और उसके कर्मचारियों के ख़िलाफ़ एकदम अस्वीकार्य कार्रवाई है.”