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सांस के बाद जीवन के लिए पानी सबसे जरूरी है, जिस गांव में पानी नल के माध्यम से पहली बार पहुंचा हो और लोगों ने उस नल की पूजा की हो. कल्पना कीजिए कि उस गांव में नल से जल मिलने की क्या स्थिति रही होगी.

“जैसे अमृत मिल गया हो” ये कहना है बालाबेहट गांव की 93 वर्षीय पाली बाई का, जिनके चेहरे पर बरसों की प्यास बुझने का सुकून साफ देखा जा सकता है.

UP के ललितपुर जिले के इस गांव में हाल ही में पेयजल की व्यवस्था होने पर स्थानीय लोगों के चेहरों पर वर्षों से सूखा पड़ा सुकून लौट आया है. खासकर बुजुर्गों के लिए, जो पीढ़ियों से पानी के लिए संघर्ष कर रहे थे, यह सुविधा एक वरदान से कम नहीं है.

पाली बाई, जिन्होंने अपने जीवन के 70 से भी ज्यादा साल पानी के लिए एक कड़ी जद्दोजहद में बिताए हैं, अब पहली बार अपने गांव में नल से पानी आता देखती हैं. यह नजारा उनकी आंखों में चमक और दिल में संतोष भर देता है. इस उम्र तक आते-आते वे कई मुश्किलों का सामना कर चुकी हैं, लेकिन पानी की यह कमी सबसे बड़ी रही है. वे बताती हैं, “हर सुबह मीलों पैदल चलकर पानी लाना पड़ता था, कई बार तो इतनी थक जाती थी कि सोचना पड़ता था कि कल कैसे चलूंगी। लेकिन अब जैसे अमृत मिल गया है”.

पानी की समस्या बालाबेहट के गांव में कोई नई नहीं थी. यहां पीढ़ियों से लोगों को पानी की कमी का सामना करना पड़ा है. गर्मियों में कुएं और तालाब सूख जाते थे, जिससे गांववालों को कई किलोमीटर दूर जाकर नदी से पानी लाकर अपनी जरूरतों को पूरा करना पड़ता था. पानी के लिए इतनी कठिन यात्रा बुजुर्गों, बच्चों और महिलाओं के लिए एक बड़ी चुनौती बन जाती थी। इसके कारण गांव में स्वास्थ्य समस्याएं भी बढ़ रही थीं.

पाली ने जब अपने घर के सामने नल की टोटी देखी तो अपनी भावनाओं पर काबू नहीं पा सकीं। अब वे पानी एक गिलास पानी के लिए किसी पर निर्भर नहीं हैं. वो अब खुद ही लोट में पानी लेकर पी लेती हैं, जहां उनके शरीर में पानी लाने के लिए मजबूरी और थकावट झलकती थी, अब नल से पानी लाने का सुकून उनके चेहरे पर नजर आता है। नल से आसानी से उपलब्ध पानी ने उनके जीवन में बड़ा बदलाव लाया है, जिससे वे अब अपनी रोजमर्रा की जरूरतें पूरी कर पाती हैं।

पाली बाई कहती हैं, “अब मैं बिना किसी चिंता के आराम से पानी भर सकती हूं। पहले तो हर रोज यही सोचकर सोते थे कि कल पानी के लिए कितना चलना पड़ेगा। अब यह सोचने की जरूरत नहीं है”. उनके यह शब्द न सिर्फ उनके खुद के, बल्कि हर उस बुजुर्ग के दिल का हाल बयां करते हैं, जिन्होंने उम्र के इस पड़ाव पर पानी के लिए संघर्ष किया है.

बालाबेहट की महिलाओं के लिए भी यह सुविधा एक बड़ी राहत बनकर आई है. कई युवा और महिलाएं, जो सुबह और शाम पानी भरने के लिए घंटों तक संघर्ष करती थीं, अब इस समय का उपयोग अन्य कार्यों में कर सकती हैं. इससे न केवल उनका स्वास्थ्य बेहतर हुआ है, बल्कि उन्हें अपने परिवार के साथ अधिक समय बिताने का भी मौका मिला है।

गांव की एक महिला, आरती बताती हैं, “अब हमें बच्चों के लिए समय मिलता है, जो पहले पानी के काम में चला जाता था। नल से पानी मिलना हमारे जीवन का सबसे अच्छा बदलाव है”. गांव में नल से पानी की सुविधा मिलने के बाद, लोग अब स्वास्थ्य और स्वच्छता के प्रति भी अधिक सजग हो गए हैं। पानी की कमी के कारण होने वाली बीमारियां, जैसे कि डायरिया और अन्य जलजनित रोग, अब धीरे-धीरे कम हो रहे हैं. ग्रामीणों का मानना है कि पानी की यह उपलब्धता उनके जीवन में नए अवसर लेकर आएगी. वे अब अपने गांव को स्वच्छ और स्वास्थ्यकर बनाने के लिए भी कदम उठा रहे हैं.

पाली बाई जैसी बुजुर्गों के लिए जल जीवन मिशन एक नया सवेरा है. पानी की किल्लत से जूझते हुए सालों तक संघर्ष करने के बाद, अब वे इस उम्र में राहत का अनुभव कर रही हैं. उनके अनुसार, “मुझे लगता है, अब मेरी बाकी जिंदगी सुकून से कटेगी, इस पानी ने मुझे नई जिंदगी दी है”

पानी की इस नई व्यवस्था से बालाबेहट के लोगों के जीवन में एक सकारात्मक बदलाव आया है. गांववाले अब एक स्वस्थ और खुशहाल जीवन की ओर कदम बढ़ा रहे हैं.

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